वर्ल्ड हार्ट डे आज:हर साल 130 लाेग दिल संबंधी बीमारी से दम ताेड़ रहे, 35% युवा भी पीड़ित; जिले की 14 लाख आबादी में एक मात्र सिविल अस्पताल विश्व हार्ट डे 29 सितंबर काे मनाया जाएगा। इस माैके पर विश्व भर में लाेगाें काे दिल की बीमारियाें के बारे में जागरूक किया जाता है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार हृदय रोग दुनिया भर में मौत का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए, विभिन्न हृदय रोग और कारकों को समझने के लिए समय की जरूरत है। जो व्यक्ति को उच्च जोखिम में डालते हैं। वर्ल्ड हार्ट डे 2020 के लिए थीम है ‘यूज हार्ट टू बीट कार्डियोवस्कुलर डिजीज यानी हृदय रोग को हराने के लिए दिल का उपयोग करें।
जिले में हर साल 130 लाेगाें की इससे जान जा रही है, वहीं हर सातवां व्यक्ति दिल की बीमारी से पीड़ित है। दिल संबंधी बीमारी से 35-40 प्रतिशत युवा भी पीड़ित हैं। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग 0-18 साल की उम्र के बच्चाें काे दिल में छेद है ताे केंद्र सरकार के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम यानी आरबीएस कार्यक्रम के तहत बच्चाें की बड़े अस्पतालाें में फ्री में इलाज कराता है। तीन सालाें में स्वास्थ्य विभाग ने 52 बच्चाें की फ्री में हार्ट सर्जरी कराई है। इस साल काेराेना के कारण सिर्फ 3 बच्चाें की ही सर्जरी हाे पाई है।
तीन साल में 52 बच्चाें की फ्री में करा चुका हार्ट सर्जरी
6-18 साल के बच्चे का नाम आंगनबाड़ी या सरकारी स्कूल में हाे: नाेडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमओ डाॅ. ललित वर्मा ने बताया कि इसके लिए 0-6 साल के बच्चे का नाम कहीं भी रजिस्ट्रर हाे, जैसे प्राइवेट स्कूल, सरकारी स्कूल, आंगनबाड़ी में हाेना चाहिए और 6-18 साल के बच्चे का नाम आंगनबाड़ी या सरकारी स्कूल में हाेना चाहिए ताे विभाग द्वारा उन बच्चाें काे स्क्रीनिंग कर उनका मुफ्त में इलाज कराएगा। इसके अलावा कटे हाेंठ या चिपके तालू का मुफ्त इलाज हाेता है।
हार्ट सर्जरी का महंगा है इलाज : डाॅ. ललित बताते हैं कि दिल के छेद की सर्जरी महंगी है, इसके लिए 1 से 3 लाख तक का खर्च आता है। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम यानी आरबीएस कार्यक्रम के तहत बच्चाें की बड़े अस्पतालाें में फ्री में इलाज कराता है। इसका पैसा सरकार द्वारा ही दिया जाता है। इन बच्चाें की सर्जरी फोर्टिस अस्पताल माेहाली, पीजीआई चंढीगढ़ कंफर्म रोहतक में हाेती है। जिले की 14 लाख आबादी पर एक मात्र सिविल अस्पताल है, लेकिन आज तक दिल से संबंधित इलाज ही नहीं है। स्वास्थ्य विभाग आज तक एक भी डॉक्टर नहीं ला पाया है।
हर व्यक्ति तनाव से घिरा : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति तनाव से घिरा हुआ है, जो हृदयाघात को मुख्य कारण है। वहीं अधिक मीठा, मसालेदार भोजन, धूम्रपान, शारीरिक गतिविधियों का अभाव भी है। महिलाओं में विभिन्न कारणों से माहवारी का अनियमित होना, गर्भ धारण करने में असमर्थता मोटापा, चेहरे और छाती पर ज्यादा बाल आदि लक्षण दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ाते हैं।
हार्ट अटैक आने पर क्या न करें : दिल की धड़कन जाने बिना थंपिंग और पंपिग (दबाव और जबरदस्ती) करने से परहेज करना चाहिए। पीड़ित को ऐसे में कुछ खिलाने की कोशिश न करें। यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि बहुत-सी जान बचाने वाली दवाएं हार्ट अटैक से निपटने में मदद करती हैं, लेकिन उन्हें पहले लक्षण दिखने के एक से दो घंटे के बीच ले लिया जाए, इसलिए कई स्थिति में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है।
हार्ट अटैक आने पर आप क्या करें : हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले मेडिकल हेल्प के लिए कॉल करना चाहिए, कई बार लोग खुद इससे निपटने की कोशिश करते हैं, इससे स्थिति और भी खराब हो जाती है। व्यक्ति को सीधा लेटने के लिए कहें और उसके कपड़ों को ढीला कर दें। हवा आने की जगह छोड़ दें।