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कपड़ों का ऑनलाइन बिजनेस शुरू किया, कोरोना आया तो लॉन्च की पीपीई किट,

तीन साल पहले कपड़ों का ऑनलाइन बिजनेस शुरू किया, कोरोना आया तो लॉन्च की पीपीई किट, 5 करोड़ रु पहुंचा टर्नओवर दिल्ली की वंशिका ने 2017 में बिजनेस शुरू किया था, आज 200 से ज्यादा होटल्स, स्कूल और रेस्टोरेंट के लिए यूनिफॉर्म तैयार करती हैं, उनके साथ 200 से ज्यादा लोग जुड़े हैं
दिसंबर 2019 में शादी के बाद वंशिका मुंबई शिफ्ट हो गईं, अभी मुंबई और गुजरात में उनकी कंपनी काम कर रही हैदिल्ली की रहने वाली वंशिका चौधरी महिलाओं को ट्रेंड के हिसाब से लुक देने के साथ- साथ कोरोना से जंग लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट मुहैया करा रही हैं। अब तक वो 200 से ज्यादा अस्पतालों में 6 लाख से अधिक पीपीई किट सप्लाई कर चुकी हैं। उनकी कम्पनी 200 से ज्यादा होटल्स, स्कूल और रेस्टोरेंट के लिए यूनिफॉर्म तैयार करती है। उनके साथ 200 से ज्यादा लोग जुड़े हैं। पिछले साल 5 करोड़ रुपए का टर्नओवर रहा है।

26 साल की वंशिका अभी मुंबई में रहती हैं। पिछले साल ही शादी बाद वो दिल्ली से यहां शिफ्ट हुई हैं। उन्होंने स्कूली एजुकेशन दिल्ली से पूरा करने के बाद सिंगापुर से फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन किया है।

वंशिका बताती हैं, ‘ग्रेजुएशन के दौरान लास्ट ईयर में हमें एक ब्रांड और बिजनेस मॉडल तैयार करने का प्रोजेक्ट मिला। यह हमारे कोर्स वर्क का हिस्सा था। मैंने इसका नाम कन्या रखा था। इस दौरान मैंने महिलाओं के फैशन ट्रेंड को देखते हुए काफी रिसर्च वर्क किया। एक्सपर्ट्स की मदद ली, उनसे फैब्रिक और मार्केटिंग के बारे में जानकारियां हासिल की। प्रोजेक्ट का काम पूरा होने तक मुझे फैशन, फैब्रिक और मार्केट के बारे में अच्छी खासी समझ हो गई थी। जब मेरा बैचलर कंप्लीट हुआ तो मैंने तय किया कि अब इसी प्रोजेक्ट को फ्यूचर प्रोफेशन में कन्वर्ट करूंगी।सिंगापुर से पढ़ाई के बाद 2015 में वंशिका दिल्ली आ गईं। यहां आकर उन्होंने रिसर्च वर्क किया, मार्केट और डिमांड के बारे में पता किया। उनके पिता टेक्सटाइल फील्ड से जुड़े थे तो वंशिका उनके साथ काम सीखने लगी। अगस्त 2017 में उन्होंने कन्या नाम से अपनी कंपनी बनाई और वेबसाइट लॉन्च की। तब उन्होंने करीब 1 लाख रुपए खर्च किए थे।

वंशिका बताती हैं कि रिसर्च वर्क के दौरान मुझे पता चला कि भारत में ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं के लिए वेस्टर्न ड्रेस के विकल्प बहुत कम हैं। अगर हैं भी तो क्वालिटी गैप बहुत ज्यादा है। मैंने तय किया कि क्यों न कुछ इस तरह के ड्रेस डिजाइन किए जाएं जिनकी कॉस्ट भी कम हो, क्वालिटी भी अच्छी हो और दस से पांच की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाएं उसे आराम से पहन भी सकें।

इसके बाद कुछ कपड़े हमने लॉन्च किए और ऑनलाइन उसे प्रमोट किया। लोगों का रिस्पॉन्स अच्छा मिला और ठीक ठाक कमाई हुई थी। उसके बाद हमने बड़े लेवल पर काम शुरू किया। अलग- अलग जगहों से फैब्रिक मंगाए और ट्रेंड्स के हिसाब से ड्रेस तैयार करने लगे। जैसे जैसे डिमांड बढ़ती गई वैसे-वैसे हमारा बिजनेस बढ़ता गया।वो कहती हैं कि कुछ दिन बाद हमें अलग अलग होटल्स और रेस्टोरेंट्स से ढेर सारे ईमेल्स और मैसेज आने लगे कि आप हमारे लिए यूनिफॉर्म तैयार करिए। शुरुआत में तो हम इन्हें इग्नोर करते रहे लेकिन फिर हमने महसूस किया कि इस सेक्टर में काफी स्कोप है। इसके बाद 2019 में हमने कन्या यूनिफॉर्म नाम से एक दूसरा सेटअप स्टार्ट किया। इससे हमें अलग ही पहचान मिली। 200 से ज्यादा होटल्स, रेस्टोरेंट्स और स्कूलों के लिए हम यूनिफॉर्म तैयार करने लगे। उसके बाद मेरी शादी हो गई और मैं मुंबई शिफ्ट हो गई। हमने अपनी कंपनी और सेटअप भी यहीं शिफ्ट कर दिया। सबकुछ ठीक चल रहा था तभी इस साल कोरोना आ गया।

वंशिका कहती हैं,’ कोरोना के चलते जब लॉकडाउन लगा तो हमारे कई प्रोजेक्ट्स बंद हो गए, कई ऑर्डर कैंसिल हो गए। लेकिन सच कहूं तो उसके बाद भी नुकसान की बजाए और ज्यादा मजबूत हो गए हम। मेरे हसबैंड अभिजीत काजी ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। मार्केट और फाइनांस के सेक्टर में उनकी काफी अच्छी समझ है और उन्होंने इस फील्ड में काम भी किया है। इस साल की शुरुआत में जब चीन और दूसरे देशों में कोरोना फैला हुआ था तभी मेरे हसबैंड ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर पीपीई किट को लेकर बातचीत करना शुरू कर दिया था। उन्हें पता था कि कल को इसकी जरूरत इंडिया में भी होगी।

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