लद्दाख की चोटियों में सेना की पहुंच आसान होगी:अटल टनल बनने के बाद अब सेना का शिंकू ला टनल बनाने पर फोकस, फारॅवर्ड पोस्ट तक जल्द पहुंचने के लिए तैयार की जा रही सड़केंमनाली-लेह हाइवे पर सालभर आवाजाही बनाए रखने के लिए शिंकू ला टनल को तैयार किया जा रहा है
लेह में तीन दर्रे (पास) ऐसे हैं जो साल में छह महीने बर्फ से ढके होते हैं, इससे मनाली लेह हाइवे बंद हो जाता हैहिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों में चीन और पाकिस्तान से चल रहे तनाव के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को तेजी से पूरा करने पर ध्यान दिया जा रहा है। सुरक्षा के लिहाज से अहम साबित होने वाली 9.2 किलोमीटर लंबी रोहतांग पास हाइवे टनल तैयार की जा चुकी है।
अधिकारियों के मुताबिक, अब 13.5 किलोमीटर लंबी शिंकू ला टनल को जल्द तैयार करने पर फोकस किया जा रहा है। यह लद्दाख के फॉरवर्ड पोस्ट तक पहुंचने के लिए सेना का तीसरा, सबसे छोटा और सुरक्षित वैकल्पिक कॉरिडोर होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 अक्टूबर को इसका उद्घाटन करेंगे
विशेषज्ञों के मुताबिक, रोहतांग पास हाईवे टनल घोड़े के नाल की आकार की है। यह सिंगल ट्यूब और डबल लेन टनल समुद्र की सतह से 3 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसे सेना के बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने तैयार किया है। इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। यह साल भर खुला रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी 3 अक्टूबर को इसका उद्घाटन करेंगे।
सिर्फ एक टनल सेना की आवाजाही के लिए काफी नहीं
रक्षा मंत्रालय अटल टनल के जरिए 475 किलोमीटर लंबे मनाली-लेह हाईवे को सेना के लिए आसान बनाना चाहता है। इस हाईवे से ही भारतीय सेना लद्दाख में चीन और पाकिस्तान से सटी सीमा पर पहुंचती है। हालांकि, बीआरओ के अफसरों के मुताबिक, सिर्फ यही टनल लद्दाख में सालभर सेना की आवाजाही आसान बनाने के लिए काफी नहीं होगी।
लेह में तीन ऐसे दर्रे, जो साल में छह महीने बंद रहते हैं
लेह में तीन दर्रे (पास) ऐसे हैं, जो साल में कम से कम छह महीने बर्फ से ढके होते हैं। ऐसे में मनाली-लेह हाईवे बंद हो जाता है। इसे सभी मौसम में चालू रखने के लिए शिंकू ला टनल या तीन दूसरे दर्रे के पास टनल बनाने की जरूरत है।
अफसरों का मानना है कि बारलचा (16,020 फीट), लाचलुंगला (16,620 फीट) और तांगलंगला (17,480 फीट) पर तीन टनल बनाने के बजाए एक शिंकू ला टनल बनाना ज्यादा किफायती है। शिंकू ला टनल बनकर तैयार होने पर मनाली-करगिल हाईवे भी सालभर खुला रह सकेगा।
शिंकू ला टनल बनने के बाद मनाली से करगिल की दूरी घट जाएगी
मनाली से करगिल तक सेना के हथियारबंद दस्ते लेह होते हुए सफर तय करते हैं। यह सड़क 700 किमी. लंबी है। दारचा-निमू-पाडुम रोड और शिंकू ला टनल बनकर तैयार होने के बाद यह दूरी 522 किमी. रह जाएगी। इसे सेना के लिए वैकल्पिक रास्ते के तौर पर तैयार किया जा रहा है। यह डबल लेन वाली सड़क फिलहाल बन रही है। इसके 2023 तक बनकर तैयार होने की उम्मीद है।