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आर्थिक तंगी में गीतकार का निधन:लिवर कैंसर के चलते 10 महीने से बिस्तर पर थे

आर्थिक तंगी में गीतकार का निधन:लिवर कैंसर के चलते 10 महीने से बिस्तर पर थे ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ के गीतकार अभिलाष, परिवार के पास नहीं थे ट्रांसप्लांट के पैसे अभिलाष ने ‘सावन को आने दो’ (1979),’लाल चूड़ा’ (1974), ‘अंकुश’ (1986) जैसी फिल्मों के गाने लिखे
दो दिन पहले गीतकार की हालत की जानकारी सामने आई थी, पत्नी ने आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी’इतनी शक्ति हमें देना दाता’ (अंकुश) जैसे गीत लिखने वाले गीतकार अभिलाष का मुंबई में निधन हो गया है। रिपोर्ट्स की मानें तो रविवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली। अभिलाष लिवर कैंसर से जूझ रहे थे और पिछले 10 महीने से बिस्तर पर थे। उनका लिवर ट्रांसप्लांट होना था। लेकिन पैसों की तंगी के चलते यह हो नहीं सका।

पत्नी ने IPRS से आर्थिक मदद मांगी थी

दो दिन पहले ही मीडिया में अभिलाष की हालत के बारे में जानकारी सामने आई थी। गीतकार की पत्नी नीरा अभिलाष ने इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी (IPRS) से अर्जेंट फाइनेंशियल हेल्प मांगी थी।

इलाज पर खर्च हो गई थी जमा-पूंजी

रिपोर्ट्स में परिवार के सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि फैमिली ने अपनी पूरी जमा-पूंजी अभिलाष की मेडिकल केयर पर खर्च कर दी थी। शुरुआत में उन्हें शुभचिंतकों से मदद मिल रही थी। लेकिन वे भी ज्यादा दिनों तक खर्च नहीं उठा सके। क्योंकि लिवर कैंसर का खर्च काफी महंगा है।

इन फिल्मों के लिए लिखे थे गाने

IMDB की लिस्ट के मुताबिक, अभिलाष ने ‘रफ्तार’ (1975), ‘जहरीली’ (1977), ‘सावन को आने दो’ (1979),’लाल चूड़ा’ (1974), ‘अंकुश’ (1986), ‘हलचल’ (1995) और ‘मोक्ष’ (2013) जैसी फिल्मों के लिए गाने लिखे थे। इसके अलावा ‘जय जगन्नाथ’ (2007) के डायलॉग्स और ‘जीते हैं शान से’ (1988) की एडिशनल स्टोरी के लिए भी उन्हें क्रेडिट दिया गया है।

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