भारत बंद:किसान संगठनों ने नई मंडी से छोटूराम धर्मशाला तक रोष मार्च निकाला,

भारत बंद:किसान संगठनों ने नई मंडी से छोटूराम धर्मशाला तक रोष मार्च निकाला, बहादुरगढ़ में सीएम व डिप्टी सीएम का पुतला फूंका कृषि अध्यादेश के विरोध में दूसरे जिलों की तरह झज्जर में नहीं लगाया जाम, 18 ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने कानून व्यवस्था पर रखी नजरकृषि अध्यादेश के विरोध में झज्जर में भारत बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला। जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में 18 ड्यूटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से कानून व्यवस्था पर नजर रखी गई। वहीं अलग-अलग संगठनों की ओर से शहर की नई अनाज मंडी में प्रस्तावित कार्यक्रम को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात रखी गई। हाईवे पर लंबी दूरी के लिए चलने वाले वाहनों की संख्या कुछ कम नजर आई।

बड़े कंटेनर व ट्राले सड़क किनारे होटलों पर खड़े रहे, लेकिन दोपहर बाद यह भी अपने गंतव्य के लिए निकलने लगे। शहर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अलग-अलग स्थानों पर पुलिस नाके लगाए गए थे। डीसी की ओर से 18 अधिकारियों को ड्यूटी मजिस्ट्रेट की पावर देकर उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में पुलिस अधिकारियों के साथ ड्यूटी पर तैनात किया गया था। बंद को देखते हुए सुबह से पुलिस पूरी तरह से अलर्ट पर थी। दमकल दस्ते के साथ साथ भारी संख्या में पुलिस फोर्स को लघु सचिवालय परिसर पर रिजर्व में रखा गया था। ताकि इमरजेंसी के हालात में इनका बेहतर तरीके से उपयोग किया जा सके।

शहर में किया प्रदर्शन
अलग-अलग किसान संगठनों की ओर से शुक्रवार को शहर की नई अनाज मंडी में सभा आयोजित की गई और इसके बाद यह लोग जुलूस के रूप में शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए छोटूराम धर्मशाला पहुंचे और अपने प्रदर्शन का समापन किया। शहर में सुबह से ही बाजार खुला रहा और प्रदर्शन के बाद किसी प्रकार का कोई असर व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर नहीं पड़ा।

आम आदमी पार्टी से संबंधित दुकानदारों ने बंद रखी दुकान
बंद को लेकर हालांकि इस शहर में कोई खास असर देखने को नहीं मिला, लेकिन आप पार्टी से संबंधित कुछ समर्थकों ने अपनी इक्का-दुक्का दुकानें बंद रखी। पार्टी के जिला प्रधान सुरेंद्र नांगल ने बताया कि अध्यादेश के खिलाफ उनकी पार्टी ने बंद को समर्थन दिया था। इस लिहाज से उन्होंने अपना विरोध भी दर्ज कराया।

अंबेडकर चौक पर किया विरोध
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने 250 किसान यूनियन, संगठनों के मंच एआईकेएससीसी के आह्वान पर ग्रामीण भारत बंद के अवसर पर केंद्र सरकार के किसान विरोधी तीन काले बिलों को रद्द करने, बिजली बिल (संशोधन) 2020 वापस लेने आदि प्रमुख मांगों पर आज जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी किसान अंबेडकर चौक पर इकट्ठे हुए और “किसानों की लूट और कारपोरेट को छूट बंद करो”, किसान व जन विरोधी काले बिल रद्द करो के नारे लगाए। उपस्थित किसानों ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि वह एमएसपी पर फसल खरीदने की प्रणाली को ही खत्म करना चाहती है।

एमएसपी देने का केवल मौखिक आश्वासन द रही है। बिल में एक लाइन भी नहीं है कि एमएसपी से नीचे फसल खरीद नहीं होगी। देश में 85% बहुत छोटी जोत के किसान हैं। जो अपनी फसल को दूर के बाजार में नहीं बेच सकते। किसानों की आय दोगुनी करने के नाम पर ‘एक राष्ट्र एक बाजार’ का झूठा सरकारी प्रचार व छलावा है। असल में केंद्र सरकार द्वारा तीन काले बिल लाने के पीछे उसकी किसानों की कीमत पर बड़े पूंजीपति घरानों को फायदा पहुंचाने की है। इसलिए प्राईवेट मंडी खोलने, जमाखोरी करने की पूरी छूट दे दी है। आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करके छह चीजें अनाज, दाल, तिलहन, तेल, आलू, प्याज जमा करने की लिमिट समाप्त कर दी है। इससे बड़े व्यापारियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फसल के टाइम पर किसानों से सस्ता खरीदने और गोदामों में जमा करने के बाद बाजार में बनावटी कमी पैदा करके कई गुना अधिक मूल्य पर बेच कर लूट की खुली छूट मिल गई है।

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