कोरोना दुनिया में:अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के ट्रायल्स के अच्छे नतीजे,
September 26, 2020
नेहरू-इंदिरा के बाद सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का आज जन्मदिन
September 26, 2020

पेटीएम के सीईओ ने कहा:गूगल-फेसबुक देश से 35 हजार करोड़ रुपए रेवेन्यू कमाते हैं,

पेटीएम के सीईओ ने कहा:गूगल-फेसबुक देश से 35 हजार करोड़ रुपए रेवेन्यू कमाते हैं, टैक्स देते हैं जीरो और देश के बिजनेस पर अपनी धौंस अलग जमाते हैं विजय शेखर शर्मा ने कहा- भरोसा है कि देश में बन रहे ऐप इकोसिस्टम की चाबी मोदी सरकार बाहर नहीं जाने देगीदेश के सबसे बड़े डिजिटल पेमेंट और फाइनेंशियल सर्विस ऐप पेटीएम 19 सितंबर को उस वक्त चर्चा में आ गया, जब गूगल ने प्लेस्टोर से उसे हटा दिया। हालांकि, 30 करोड़ से अधिक यूजर और 70 करोड़ से अधिक ट्रांजेक्शन रोज करने वाले ऐप की कुछ घंटों में ही प्लेस्टोर पर वापसी भी हो गई। दैनिक भास्कर ने पेटीएम के फाउंडर-सीईओ विजय शेखर शर्मा से बात की। उनका मानना है कि गूगल-फेसबुक जैसी बड़ी टेक कंपनियों पर देश में अंकुश जरूर होना चाहिए। उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…

सवाल- आपको लगता है कि आपके ऐप को गूगल द्वारा विशेष रूप से टारगेट किया गया था?
जवाब- मुझे तो यह समझ में नहीं आता कि किस पॉलिसी के तहत उन्हें ऐसा लगा कि यूपीआई कैश बैक देने का जो हमारा प्रोग्राम है, वह गैम्बलिंग है। गैम्बलिंग बता कर फाइनेंशियल ऐप की विश्वसनीयता को गिरा दिया। हमारे ऊपर लगे यह गलत और झूठे आरोप हैं। आप (गूगल) क्लेम करते हो कि चार-पांच बार बात की है। जबकि सुबह ही कॉल किया कि अपनी मेल देखो- हमने कुछ कर दिया है, इस तरह तो हमें बताया गया। हमें इस बात की कोई भी वार्निंग नहीं दी कि हम ऐप हटा रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण, दुर्भावनावश, बिजनेस पर अटैक कह सकते हैं।

सवाल- गूगल की क्या दुर्भावना हो सकती है?
जवाब- सबसे बड़ी बात क्या है कि उनके ऐप में भी यही सब चीजें चल रही होती हैं। उन्होंने जो ई-मेल भेजा उसमें उन्होंने हमें लिखकर दिया कि आप जो भुगतान करते हो उसके बदले में स्टीकर मिलता है। अब देखिए कि पेमेंट का ऐप है, तो पेमेंट नहीं करेगा तो क्या करेगा? यह कैसे जुआ हो सकता है? ऐसा नहीं है कि हमने यह अभी शुरू किया है या नया है। हम कैश बैक देते रहे हैं। हमने भी जैसे गूगल पे में स्टीकर आते हैं, वैसे ही दिए हैं।

सवाल- ऐसी डी-लिस्टिंग उन कंपनियों को कैसे प्रभावित करती है जिनका व्यवसाय ऐप पर ही चलता है?
जवाब- हम हर दिन लाखों ग्राहक जोड़ते हैं, ऐप से हटने से नए कस्टमर आने बंद हो गए। बहुत सारे हमारे ग्राहक भ्रमित हो गए। किसी ने अफवाह चला दी कि हमारा ऐप निकाल दिया है और पैसे निकाल लो। इससे समस्या और बड़ी हो गई। जो कंपनियां अपना बिजनेस मॉडल ऐप के ऊपर चलाती हैं, उनको यह समझ लेना चाहिए कि आप अपना व्यवसाय भारत के नियम कानून के हिसाब से कर रहे हैं तो उनकी नजर में यह पर्याप्त नहीं हैं। ये हमारे देश के सुपर रेग्युलेटर हो गए हैं। ये बड़ी टेक जाॅइंट कंपनियां बताएंगी कि यहां का बिजनेस कैसे चलेगा? यही सबसे बड़ी समस्या है।

सवाल- क्या वह असर अभी भी जारी है?
जवाब- डिजिटल भारत के राज की चाबी देश के अंदर नहीं, कैलिफोर्निया में है। हमने 20 हजार करोड़ रुपए देश के डिजिटल इंडिया में निवेश किए हुए हैं। गूगल पे हमारे बाद आया है देश में। गूगल पे उस अपॉर्चुनिटी पर आया जो भारत में हमारे एप ने बनाई। अब हमारे एप को खत्म करने के तरीके ढूंढ़ रहे हैं। यह हमारे एप का मामला भर नहीं है बल्कि भारत की डिजिटल आजादी का भी सवाल है।

सवाल- आपका ऐप अन्य सभी एप से कैसे अलग है, क्या सेवाएं उपलब्ध हैं?
जवाब- हमारे ऐप की शुरुआत हुई थी कि आप अपने वॉलेट से पेमेंट कर सकते हैं- जैसे बिजली के बिल, मोबाइल फोन और अन्य भुगतानों का। हमारा ऐप एक फाइनेंशियल इन्क्लूजन की सेवा है, जिन लोगों के पास बैंक सेवा नहीं थी उनके पास हम एक पेमेंट का तरीका लेकर गए फिर हम जीराे कॉस्ट अमाउंट वाला बैंक अकाउंट लेकर गए। हम वेब सॉल्यूशन, इंश्योरेंस, लोन आदि की सुविधा दे सकते हैं। वॉलेट सिस्टम डाला, अगर बैंक में पैसे हैं आप उनको ट्रांसफर कर लीजिए जिससे कि आपको कॉन्फिडेंस रहे। वॉलेट सिस्टम किसी और एप के पास नहीं है।

सवाल- गूगल के पास एक भुगतान ऐप भी है। क्या आपको लगता है कि वे अपनी सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए आपसे भेदभाव किया?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Updates COVID-19 CASES