दिव्या दत्ता ने अमिताभ बच्चन को बताया इंडस्ट्री में आने की वजह, बोलीं- उन्हीं ने रोल से डिस्कनेक्ट करना सिखाया; सलमान की मदद भी हमेशा रहेगी याद नेशनल फिल्म अवॉर्ड विनर दिव्या दत्ता शुक्रवार को 43 साल की हो गईं। उनका जन्म 25 सितंबर 1977 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था। दिव्या के बारे में कहा जाता है कि वे जिस फिल्म में होती हैं, उस फिल्म का वजन बढ़ जाता है। अपने जन्मदिन के मौके पर उन्होंने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में खुद से जुड़े रोचक किस्से साझा किए।
दिव्या का कहना है कि करियर की शुरुआत में जो अवॉर्ड, रिवार्ड और रोल हासिल नहीं कर सकी थी, उसे अब करके खुद को संतुष्ट कर रही हूं। अपने ढाई दशक से अधिक लंबे फिल्मी करियर में दिव्या का नाम कभी किसी विवाद में नहीं आया।
धर्मेंद्र जी के गांव से हूं मैं
बचपन के बारे में बताते हुए दिव्या ने कहा, ‘मेरा बचपन पंजाब स्थित लुधियाना के पास एक गांव में बीता। यहीं से धर्मेंद्र जी भी हैं। यहां मेरे मम्मी-डैडी डॉक्टर थे। मेरा एक छोटा भाई है, जो अब डॉक्टर है। बहुत लकी हूं कि उस वक्त मिट्टियों में कंचे, पिट्ठू आदि खेलने से लेकर आउटडोर एक्टिविटी के मजे लिए हैं। गांव से आधे घंटे की दूरी पर लुधियाना शहर पढ़ाई करने जाती थी। इस तरह गांव और शहर की दोनों जिंदगियां बड़े करीब से देखी हैं। आज याद करती हूं तो पाती हूं कि बचपन बहुत अच्छा बीता।’
बच्चन साहब की वजह से इंडस्ट्री में आई
आगे उन्होंने बताया, ‘मां-बाप डॉक्टर थे, पर सुई देखकर मैं घबराती थी। बड़ी होकर साइक्लॉजी से डिग्री ली। बच्चन साहब की बहुत बड़ी फैन थी। उनकी फिल्में देखती थी। चार साल की थी, तब अपने पड़ोसियों के बच्चों को बुलाकर अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘डॉन’ का गाना खाई के पान बनारस वाला… गाया और उस पर डांस किया। बच्चों की तालियों की गड़गड़ाहट सुनकर बहुत अच्छा लगा। बच्चों को पार्टी दी।’
‘उस समय बहुत छोटी थी तो मुझे नहीं पता था कि एक्टर बनना चाहती थी कि नहीं, लेकिन जब डांस और एक्टिंग करती थी, तब खुश हो जाती थी। फिर तो कुदरत ने मेरे लिए एक मौका खोला और टैलेंट हंट में शामिल हुई और एक्टिंग लाइन में आ गई।’
बचपन में मिली थी अपहरण की धमकी
आगे उन्होंने कहा, ‘बचपन में किडनैप करने की धमकी वाला पत्र मिला था। तब मेरी मम्मी ने मुझे मौसी के घर भेज दिया था। उसके बाद खुद पूरे मोहल्ले और पुलिस के साथ जाकर उस चिट्ठी लिखने वाले को धर दबोचा था। दरअसल उन दिनों लोग टेररिज्म का फायदा उठाकर चिट्ठी भेजकर पैसे मांगते थे। खैर मेरी मां बहुत धाकड़ थी। चिट्ठी लिखने वाले को वक्त दिया और सबके साथ जाकर पकड़ लिया।’
पहली फिल्म के एक सीन में घबरा गई थी
‘पहली फिल्म ‘इश्क में जीना इश्क में मरना’ में अभिनय करते हुए बचपन में देखा सपना पूरा हो रहा था, वो मेरे लिए बहुत खूबसूरत मोमेंट था। लेकिन एक शॉट देना था, जिसमे पुल के ऊपर से मुझे पानी में गिरना था। इस सीन के बारे में मुझे बताया गया तो सोच कर घबरा गई कि कैसे कूदूंगी। जब उन्हें लगा कि मैं बहुत घबरा गई हूं, तब पहली बार कैमरे के लेंस से दिखाया कि यह सीन कुछ इस तरह लेना है।’
‘मेरा डुप्लीकेट पानी में कूदेगा और उसके बाद बाहर निकलते हुए मेरा सीन शूट किया जाएगा। डुप्लीकेट -1 और -2 डिग्री में ठंडे पानी में कूदे तो पूरा यूनिट उनके लिए तालियां बजा रहा था। जब वो निकला तो उसे गर्मागर्म चाय और ओढ़ने के लिए कंबल दिया गया। उसके बाद मेरा शॉट था कि मैं पानी में से निकल रही हूं।’
सलमान ने मरने की एक्टिंग करना सिखाया
‘सलमान खान बड़े मददगार को-एक्टर हैं। मुझे याद है जब ‘वीरगति’ में मरने का एक सीन करना था, तब मुझे मरना ही नहीं आ रहा था। मैं नई-नई थी तो मुझे सांस रोकना ही नहीं आ रहा था। डायरेक्टर बोलते थे कि सांस रोको, तब मुझे घबराहट होने लगती थी। फिर तो सीन कट कर देना पड़ता था। कई बार रीटेक के बाद बोलने लगे कि इस बच्ची को तो मरना ही नहीं आ रहा है। यह बात किसी ने सलमान को बताई कि जो नई बच्ची आई है, उसे तो मरना ही नहीं आ रहा है।’