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चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस आज:बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है,

चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस आज:बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है, मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा संभव 2015 के चुनाव में राजद जदयू और कांग्रेस साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था, इस गठबंधन को 178 सीटें मिलीं थी
डेढ़ साल बाद ही नीतीश महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में चले गए, इस चुनाव में एनडीए में भाजपा, लोजपा और हम (सेक्युलर) के साथ जदयू शामिलचुनाव आयोग आज दोपहर 12.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है। इसमें बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो सकता है। साथ ही मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा भी हो सकती है। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है।

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के चलते बिहार चुनाव टालने को लेकर लगाई याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि कोरोना के चलते एक राज्य के चुनाव को टाला नहीं जा सकता। कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश नहीं दे सकता। पिछले बार 5 चरणों में चुनाव हुए थे। कोरोना के चलते इस बार 2 से 3 चरणों में चुनाव कराए जा सकते हैं।

2015 में साथ लड़े थे राजद और जदयू

2015 के चुनाव में राजद जदयू और कांग्रेस साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था। इस गठबंधन को 178 सीटें मिलीं थी। लेकिन, डेढ़ साल बाद ही नीतीश महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में चले गए। इस चुनाव में एनडीए में भाजपा, लोजपा और हम (सेक्युलर) के साथ जदयू भी है। वहीं, पिछले चुनाव में एनडीए का हिस्सा रही रालोसपा महागठबंधन के साथ है।

2019 लोकसभा चुनाव में 223 विधानसभा सीटों पर आगे था एनडीए

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में 39 सीटें एनडीए को मिली थीं। सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार जीता था। लोकसभा के नतीजों को अगर विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से देखें तो एनडीए को 223 सीटों पर बढ़त मिली थी। इनमें से 96 सीटों पर भाजपा तो 92 सीटों पर जदयू आगे थी। लोजपा 35 सीटों पर आगे थी। एक सीट जीतने वाला महागठबंधन विधानसभा के लिहाज से 17 सीटों पर आगे था। इनमें 9 सीट पर राजद, 5 पर कांग्रेस, दो पर हम (सेक्युलर) जो अब एनडीए का हिस्सा हैं और एक सीट पर रालोसपा को बढ़त मिली थी। अन्य दलों में दो विधानसभा क्षेत्रों में एआईएमआईएम और एक पर सीपीआई एमएल आगे थी।

मुख्यमंत्री पद के दावेदार

नीतीश कुमार: 2010 के चुनाव में नीतीश एनडीए की ओर से तो 2015 में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा थे। इस बार फिर वो एनडीए की ओर से सीएम फेस होंगे। पिछले 15 साल से राज्य में नीतीश की पार्टी सत्ता में है। इनमें 14 साल से ज्यादा नीतीश ही मुख्यमंत्री रहे हैं।
तेजस्वी यादव: महागठबंधन की ओर से इस बार तेजस्वी यादव चेहरा हो सकते हैं। लालू यादव के जेल जाने के बाद महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद का चेहरा तेजस्वी ही हैं। हाल ही में, राजद के पार्टी कार्यालय के बाहर चुनाव से जुड़ा जो पोस्टर लगाया गया उसमें अकेले तेजस्वी नजर आ रहे थे। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का चेहरा पोस्टर से गायब था।
चुनाव के बड़े मुद्दे

कोरोना: कोरोना के बीच हो रहे इन चुनावों में कोरोना भी मुद्दा होगा। तेजस्वी यादव कोरोना को लेकर लगातार सरकार पर हमला कर रहे हैं। कोरोनाकाल में नीतीश कुमार के घर से बाहर नहीं निकलने को भी उन्होंने मुद्दा बनाया है। वहीं, नीतीश की ओर से सरकार द्वारा पिछले छह महीने में उठाए कदमों को गिनाया जा रहा है।
किसान और खेती: केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े दो नए बिल भी इन चुनावों में बड़ा मुद्दा होंगे।
बेरोजगारी: राजद बेरोजगारी के मुद्दे को लगातार उठा रही है। प्रधानमंत्री के जन्मदिन को राजद ने राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस के रूप में मनाया। नीतीश सरकार लॉकडाउन के दौरान बिहार लौटे प्रवासियों से बिहार में ही रोजगार देने का दावा कर रही है।
विकास: जदयू और भाजपा जहां पिछली केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किए गए कामों को गिना रहे हैं। वहीं, राजद पिछले 15 साल में किए विकास के दावों को लगातार चुनौती दे रहा है।
प्रवासी मजदूर: लॉकडाउन के दौरान बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भी इस चुनाव में अहम होगा। सरकार जहां इन्हें प्रदेश में ही हर संभव मदद देने की बात कर रही है। वहीं, विपक्ष प्रवासियों के लिए समुचित इंतजाम नहीं करने पर सवाल उठा रहा है।

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