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कृषि विधेयक का विरोध:किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी बोले- ये विधेयक नहीं खेती का डेथ वारंट है,

प्रदेशभर में कृषि विधेयक का विरोध:किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी बोले- ये विधेयक नहीं खेती का डेथ वारंट है, अब 20 सितंबर को प्रदेशभर में होगा रोड जाम प्रदेशभर में किसानों, आढ़तियों और व्यापारियों ने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया
25 सितंबर को देशभर में कृषि विधेयक के खिलाफ बंद का ऐलान किया गयालोकसभा में गुरुवार को पास हुए कृषि विधेयक का प्रदेशभर में विरोध हो रहा है। शुक्रवार को किसान, आढ़ती और व्यापारियों ने जिलास्तर पर प्रदेशभर में प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र सरकार और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। वहीं किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने इस विधेयक को खेती का डेथ वारंट बताया। इन्होंने कैथल में ऐलान कर दिया कि 20 सितंबर को प्रदेशभर में रोड जाम किया जाएगा। इसके बाद 25 सितंबर को देशभर में कृषि विधेयक के खिलाफ बंद बुलाया गया है। 27 सितंबर को पूरे देश के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें एक देश-एक आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।

चढूनी बोले- ये इस विधेयक के बाद 100 फीसदी मंडिया खत्म, 100 फीसदी एमएसपी खत्म
गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि तीनों अध्यादेश जो लाए गए हैं ये देश की गुलामी के वारंट हैं। खेती के डेथ वारंट हैं। इससे मंडियां 100 प्रतिशत खत्म होंगी, इससे एमएसपी 100 प्रतिशत खत्म होगा और देश में चंद लोगों का जो ढांचा खड़ा होने जा रहा है, वे पूरे देश के आटा, दाल, खाद्य तेल, आलू, प्याज स्टॉक करेंगे। चंद व्यापारी पूरे देश का माल खरीदेंगे और फिर पूरा देश उनसे मोल लेकर खाएगा।यानि पूरा देश उनका ग्राहक होगा। छोटे व्यापारी खत्म होंगे, आढ़ती खत्म होंगे, खेती तबाह होगी। चढूनी ने कहा कि सरकार कह रही है कि अमेरिका बनाएंगे। आपके पास 5 किले जमीन है जबकि अमेरिका के किसान के पास 5 किलोमीटर जमीन है। वहां किलोमीटर में जमीन है।

चढूनी ने कहा कि लोग कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग की बात करते हैं। गुजरात के किसानों ने कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग से आलू बोया, सारा आलू तो कंपनी को दे दिया लेकिन अगले साल के लिए बीज रख लिया। चार करोड़ का मुकदमा उन पर दर्ज किया गया। यानि पूरी तरह कंपनियों का गुलाम बनाया जा रहा है।चढूनी ने कहा कि जुर्म बिना कुर्बानी के कभी खत्म नहीं हुआ। ये सरकार हमें गोली भी मारेगी, लाठियां भी मारेगी, जेल में भी डालेगी लेकिन हमें उल्टा वार नहीं करना है। आज तक हमारे आंदोलन इसलिए असफल हुआ कि इन्हें ये कहने का मौका मिल जाता था कि किसानों ने आगजनी कर दी, किसानों ने पत्थरबाजी कर दी। हमें ये कतई नहीं करना है।

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