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देश के सबसे बड़े हेल्थ अफसर गलत:ट्रम्प बोले- वैक्सीन से ज्यादा कारगर नहीं हो सकता मास्क;

देश के सबसे बड़े हेल्थ अफसर गलत:ट्रम्प बोले- वैक्सीन से ज्यादा कारगर नहीं हो सकता मास्क; सीडीसी चीफ रेडफील्ड ने कहा था- वैक्सीन से ज्यादा इफेक्टिव हैं मास्क डोनाल्ड ट्रम्प दो मुद्दों पर यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के डायरेक्टर रॉबर्ट रेडफील्ड से सहमत नहीं हैं
रेडफील्ड के मुताबिक, मास्क या फेस कवर वैक्सीन से ज्यादा इफेक्टिव हैं, ट्रम्प ने उनकी इस बात को नकार दियाअमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के डायरेक्टर रॉबर्ट रेडफील्ड ने कहा है कि मास्क पहनना वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा कारगर यानी इफेक्टिव है। लेकिन, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प देश के सबसे बड़े हेल्थ अफसर की दलील से सहमत नहीं हैं। बुधवार रात ट्रम्प ने मास्क पर नया नजरिया पेश किया। कहा- किसी भी हाल में मास्क वैक्सीन से ज्यादा कारगर साबित नहीं हो सकता।

ट्रम्प बहुत कम मौकों पर मास्क पहने नजर आए हैं। शुरुआत में तो उन्होंने कोरोना की तुलना फ्लू से की थी। अमेरिका में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध होने के मुद्दे पर भी रेडफील्ड और ट्रम्प में मतभेद साफ तौर पर नजर आ रहे हैं।

कैसे शुरू हुआ मामला
मामला दरअसल, बुधवार सुबह शुरू हुआ। कोरोनावायरस की रोकथाम और वैक्सीन संबंधी सवालों का जवाब देने के लिए सीडीसी चीफ सीनेट की एक कमेटी के सामने पेश हुए। बाद में मीडिया से बातचीत में कहा- दो बातें साफ कर देना चाहता हूं। पहली- वैक्सीन अगले साल के बीच में ही सभी अमेरिकियों तक पहुंच पाएगी। दूसरी- मास्क हर हाल में वैक्सीन से ज्यादा कारगर उपाय है।

ट्रम्प ने क्या कहा
वजह जो भी रही हो। लेकिन, ट्रम्प को रेडफील्ड की दलील हजम नहीं हुई। कुछ घंटे बाद मीडिया से बातचीत में कहा- मैंने उनका बयान देखा। उनको बुलाकर बातचीत की। मैंने उनसे पूछा- आखिर आप कहना क्या चाहते हैं? मुझे लगता है सीडीसी चीफ ने गलती कर दी है। मैं इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूं कि मास्क वैक्सीन से ज्यादा कारगर यानी इफेक्टिव हैं। ऐसा कैसे हो सकता है। मास्क शायद संक्रमण रोकने में मददगार हो सकते हैं। लेकिन, वैक्सीन ही बेहतर उपाय है।

ट्रम्प का दावा है- रॉबर्ट ने यह बात मान ली है कि वैक्सीन मास्क के मुकाबले ज्यादा कारगर है। और उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया। इसके मायने गलत निकाले गए।

वैक्सीन पर चर्चा इसलिए
रेडफील्ड जब सीनेट कमेटी के सामने पेश हुए तो उन्होंने कहा- अगर अज वैक्सीन आ भी जाती है तो सभी अमेरिकियों तक इसे पहुंचाने में 6 से 9 महीने तक लगेंगे। खास बात यह है कि ट्रम्प के कोरोनावायरस पर एडवाइजर डॉक्टर एंथोनी फौसी भी कई बार यही बात कह चुके हैं। लेकिन, राष्ट्रपति इससे इत्तेफाक नहीं रखते यानी अपने ही एडवाइजर की बात को खारिज कर देते हैं। रेडफील्ड के मुताबिक- मास्क के जरिए संक्रमण पर कुछ ही महीने में काबू पाया जा सकता है। बशर्ते इसे सही तरीके से पहना जाए।

ट्रम्प की चुनाव की फिक्र
3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव है। ट्रम्प इसको लेकर ही फिक्रमंद ज्यादा हैं। वजह साफ है- डेमोक्रेट कैंडिडेट कोरोनावायरस पर सरकार की नाकामी जनता के सामने ला रहे हैं। जवाब में ट्रम्प कई बार दावा कर चुके हैं कि चुनाव के पहले वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। एक्सपर्ट्स उनके दावे को खारिज कर रहे हैं। एफडीए से ट्रम्प खफा हैं। क्योंकि, यह संस्था कहती है कि जब तक हर तरह के सेफ्टी अप्रूवल नहीं मिल जाते, वैक्सीन बाजार में नहीं आएगी।

यानी झूठा वादा कर रहे हैं ट्रम्प
एफडीए चीफ स्टीफन हान ने पिछले हफ्ते कहा था- वैक्सीन के लिए नई गाइलाइन्स जारी की गई हैं। इनका पूरी तरह इस्तेमाल होना जरूरी है तभी जल्द इसे बाजार में लाया जा सकता है। दूसरी तरफ, ट्रम्प ने कहा- मुझे लगता है हम बहुत जल्द वैक्सीन ले आएंगे। हर अमेरिकी तक इसे पहुंचाएंगे। तीन या चार हफ्ते में ये सब हो जाएगा। चुनाव में अभी सात हफ्ते बाकी हैं।

बाइडेन ने कमजोर नस पकड़ ली
बाइडेन जानते हैं कि कोरोनावायरस की रोकथाम और वैक्सीन के मुद्दे पर ट्रम्प को घेरा जा सकता है। बुधवार को उन्होंने कहा- वैक्सीन को जल्द लॉन्च करने के लिए सियासी दबाव बनाया जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प इसका राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं। लेकिन, यह ध्यान रखना चाहिए कि इसका सियासत से कोई ताल्लुक नहीं होना चाहिए। साइंस को साइंस के हिसाब से चलने देना चाहिए।

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