दिल्ली में प्रदूषित होती है यमुना, अब तीन कंपनियों से पानी साफ कराने की कवायद जनवरी से अगस्त तक किया गया अध्ययन, चंडीगढ़ में 7 विधायकों ने किया मंथनयमुना नदी प्रदेश के यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद और पलवल जिलों से होते हुए हरियाणा के कुल 179 किलोमीटर क्षेत्र से गुजरती है। जनवरी से अगस्त माह तक किए गए पल्ला से गुरुग्राम कैनाल, बदरपुर तक पानी की गुणवत्ता के अध्ययन से पता चलता है कि हरियाणा से दिल्ली को साफ पानी जाता है, लेकिन बदरपुर बॉर्डर तक पहुंचते-पहुंचते यह बुरी तरह से प्रदूषित हो जाता है।
दिल्ली के क्षेत्र में 62 ड्रेन यमुना में जबकि तीन ड्रेन आगरा कैनाल में गिरती हैं। दिल्ली 3800 एमएलडी सीवेज जनरेट करती है जबकि इसके पास 2330 एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं और यह केवल 1575 एमएलडी ही उपचारित कर पाती है। हरियाणा से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 11 प्रमुख ड्रेन यमुना में गिरती हैं। यह जानकारी मंगलवार को चंडीगढ़ हरियाणा निवास गुरुग्राम एवं आगरा कैनाल में प्रदूषित पानी के मुद़दे पर गठित की गई कमेटी की बैठक में अधिकारियों द्वारा दी गई।
बैठक में परिवहन तथा खान एवं भू-विज्ञान मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि यमुना नदी से गुरुग्राम और आगरा कैनाल में जाने वाले प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए परंपरागत तौर-तरीकों के साथ-साथ आधुनिक टेक्नॉलोजी का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए ताकि लोगों को प्रदूषित पानी से होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके और खेतों की सिंचाई के लिए भी साफ पानी उपलब्ध हो सके। बैठक में तीन कंपनियों की तरफ से पानी साफ करने की टैक्नॉलोजी के संबंध में प्रस्तुतीकरण भी दिए गए।
इन पर चर्चा के बाद परिवहन मंत्री ने अधिकारियों को इन कंपनियों के साथ करार करने की संभावनाएं तलाशने के मकसद से अगली बैठक में पूरी तैयारी के साथ आने के निर्देश दिए।बैठक में बताया गया कि यमुना के साथ लगते 34 शहरों से 973 एमएलडी सीवेज निकलता है, जबकि 1052 क्षमता के 58 एसटीपी लगाए गए हैं। इन 34 शहरों में 1549 किलोमीटर की सीवर लाइन बिछाई जानी प्रस्तावित है, जबकि 24 शहरों में 1077 किलोमीटर सीवर लाइन बिछाई जा चुकी हैं। बाकी 10 शहरों में 472 किलोमीटर सीवर लाइन बिछाने का कार्य दिसंबर 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है। बैठक में बैठक में विधायक सत्य प्रकाश, आफताब अहमद, मामन खान, सीमा त्रिखा, राजेश नागर, प्रवीण डागर और दीपक मंगला को मिलाकर कुल सात विधायकों ने शिरकत की। ये सभी विधायक प्रभावित जिलों पलवल, फरीदाबाद, गुरुग्राम और मेवात से आते हैं। इस दौरान विधायकों ने पानी के प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कई रचनात्मक सुझाव दिए।