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कोरोना बना बाधा:थमा कार्निया दान, 147 दृष्टिहीन कर रहे ट्रांसप्लांट का इंतजार,

कोरोना बना बाधा:थमा कार्निया दान, 147 दृष्टिहीन कर रहे ट्रांसप्लांट का इंतजार, इस साल नेत्रदान संकल्प करने वाले भी घटे, सिर्फ 53 का आवेदन घर पर मौत होने पर स्वीकार नहीं किया जा रहा नेत्रदान
केवल अस्पताल में मौत होने व कोरोना संक्रमित न होने पर ही ले रहे कार्नियाकाेराेना की वजह से नेत्रदान की रफ्तार भी रुक गई है। पीजीआई रोहतक में पंजीकृत 147 दृष्टिहीन लगभग एक वर्ष से कार्निया प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन नेत्रदान बेहद कम हैं। आमतौर पर हर वर्ष लगभग 150 नेत्रदान पीजीआई रोहतक में होता है, लेकिन कोरोना की वजह से इस वर्ष केवल 40 नेत्रदानी ही आगे आए हैं।

डेढ़ वर्ष पहले पंजीकृत हुए मरीजों को मई, 2020 तक ट्रांसप्लांट का आश्वासन दिया गया था, लेकिन कार्निया न मिलने की वजह से यह तारीख लगातार आगे बढ़ती जा रही है। इस वजह से यह मरीज अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। वहीं, नेत्रदान का संकल्प लेने वाले भी 10 गुना तक कम हुए हैं। आम वर्षों में करीब 500 लोग नेत्रदान का फार्म भरते हैं, लेकिन काेरोना काल में केवल 53 ही फार्म भरे गए हैं। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए अब केवल अस्पताल में होने वाली मौत और कोरोना संक्रमित न होने वाले केस में ही नेत्रदान स्वीकार किया जा रहा है। 8 सितम्बर तक मनाए जा रहे नेत्रदान पखवाड़े में पीजीआई के नेत्र विभाग की टीम व सोटो यानी स्टेट आर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन की ओर से डॉक्टरों, स्टाफ व मरीजों के परिजनों को नेत्रदान करवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सोटो के नोडल आफिसर व डीएमएस डॉ. सुखबीर बराड़ और कोआर्डिनेटर डॉ. दीपाली की टीम अंगदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। निजी अस्पताल संचालक भी इस अभियान से जुड़ सकते हैं।

डेढ़ वर्ष से कर रहे कार्निया का इंतजार

64 साल की बुजुर्ग मां कृष्णा देवी को वर्ष 2016 में काला मोतिया की शिकायत हुई थी। ऑपरेशन हाेने के बाद और राेशनी चली गई। अप्रैल, 2019 में मां को लेकर पीजीआईएमएस राेहतक के नेत्र विभाग में इलाज कराने के लिए आए। यहां पर चिकित्सकों ने कार्निया ट्रांसप्लांट की जरूरत बताई। तब से ही कार्निया मिलने का इंतजार कर रहे हैं। बुजुर्ग मां काे आंखाें की राेशनी नहीं हाेने से सहारा लेकर चलना पड़ रहा है। कोई काम खुद से नहीं हो पाता। -जैसा कि सोनीपत जिला के कमासपुर गांव निवासी बुजुर्ग महिला कृष्णा के बेटे जोगिंदर ने बताया।

काेराेना की वजह से नहीं मिला कार्निया

70 वर्षीय बुजुर्ग पिता रामनिवास को दोनों आंखों से दिखना बंद सा हो गया है। पीजीआईएमएस में अप्रैल, 2019 में इलाज कराने के लिए ले गया। जांच रिपोर्ट में आंखों में कार्निया बदलने की जरूरत बताई गई। उस समय मई, 2020 तक इंतजार करने काे कहा गया। पूरे साल तकलीफ में निकलने के बाद जब मई 2020 में कार्निया ट्रांसप्लांट होने की उम्मीद जगी तो कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन से पूरा इलाज टल गया। अब बुजुर्ग पिता काे परिजनों का सहारा लेकर नियमित दिनचर्या के काम निपटाने पड़ रहे हैं।- जैसा कि पानीपत निवासी बुजुर्ग रामनिवास के बेटे ने बताया।
नेत्रदान के लिए इन नंबराें पर दें जानकारी

कोरोना की वजह से वर्ष 2020 के 8 माह में 40 लोगों से ही कार्निया दान में मिली है। इसलिए 147 मरीज कार्निया ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं। नेत्रदान करने के लिए पीजीआईएमएस राेहतक में 01262-281300 हरियाणा राज्य नेत्रदान केंद्र व आपातकालीन विभाग के फोन 281304 पर जानकारी दी जा सकती है। – डॉ. जेपी चुघ, अध्यक्ष, कार्निया यूनिट, क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान, पीजीआईएमएस।

कार्निया के दान में भी युवा निभाएं भूमिका

पिछले दो साल में की गई मॉनीटरिंग में पाया गया है कि लोग बुजुर्ग व्यक्ति की मौत के बाद उनकी आंखों का दान करने की पहल ताे करते हैं, लेकिन किसी युवा की माैत पर परिजन आगे नहीं आते। जिस उम्र के व्यक्ति की आंखों का दान होगा, उसी आयु के मरीज में ही वो कार्निया लगाया जा सकेगा। बुजुर्ग व्यक्ति की आंखों से निकाला हुआ कार्निया युवा मरीज में नहीं लगा सकते। – डॉ. अशोक राठी, नेत्र रोग विशेषज्ञ, क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान, पीजीआईएमएस, राेहतक।

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