पीपीपी का सर्वर ओवरलोड:1400 एंट्री की क्षमता वाला सर्वर 7000 के बोझ से डाउन, अब 16 जिले करेंगे पीपीपी का इंतजार प्रदेश में एकसाथ आईडी बनाने की योजना नहीं चढ़ी सिरे
सरकार ने बदला फैसला पहले 6 जिलों में बनाई जाएगी, फिर बाकी जिलों का आएगा नंबरप्रदेशभर में एक साथ पीपीपी (परिवार पहचान पत्र) बनाने की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। प्रति सेकंड 1400 एंट्री की क्षमता वाले सर्वर पर 7000 हजार का बोझ पड़ा तो डाउन हो गया। इससे प्रदेशभर में तय समय सीमा में पीपीपी वेरिफिकेशन व नई आईडी बनाने का काम धीमा हो गया। कई जिलों में एक जिले में मात्र 4-5 आईडी ही बन पाई। इसके चलते सरकार ने योजना में बदलाव किया है।
अब पूरे प्रदेश के जिलों को एक साथ इस कार्य में नहीं जोड़ा जाएगा। पहले 6 जिले, फिर 5, फिर 5 और बाद में 6 अन्य जिलों में यह कार्य होगा। यह आईडी न बनने से लोगों के पेंशन संबंधी काम अटक गए हैं। पहले चयनित 6 जिलों में फरीदाबाद, पंचकूला, जींद, गुड़गांव, पलवल व हिसार हैं। इनमें सोमवार से बुधवार तक स्कूलों में यह कार्य होगा, जबकि गुरुवार से शनिवार तक पंचायत घर, अस्पताल या फिर अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पीपीपी बनेंगे।
भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट -सभी जिलों से आई वेबसाइट न चलने की शिकायत
रोहतक: परिवार पहचान पत्र बनाए जाने को लेकर प्रथम चरण पर शुरुआत सरकारी स्कूलों से हुई। रोहतक जिले के करीब 411 स्कूलों में इस कार्य की जिम्मेदारी शिक्षकों और कंप्यूटर ऑपरेटर्स को दी गई। 25 अगस्त से यह कार्य शुरू हुआ और 2 सितंबर के बाद गांवों में कैंप लगाकर पीपीपी बनाए जाने थे। सर्वर डाउन होने से वेबसाइट बहुत कम चली। मुश्किल से घंटों इंतजार के बाद रोजाना 4 से 5 पीपीपी ही बन पाए। करीब 20 फीसदी पीपीपी ही ऑनलाइन बन पाए हैं। सर्वर की क्षमता नहीं होने के कारण 3 सितंबर से गांवों में लगने जा रहे कैंप पर रोक लगा दी है।
फतेहाबाद: 25 अगस्त से 2 सितंबर तक परिवार पहचान पत्र अपडेट करने का कार्य हुआ। राजकीय विद्यालयों में कुल 68 हजार 785 अभिभावकों को बुलाया था। इनमें से 60 हजार 379 अभिभावक स्कूलों में आए। 10 हजार 365 अभिभावकों के कागजात पूरे नहीं थे। 2 सितंबर तक जिले में मात्र 4757 फैमिली आईडी अपडेट की जा सकी।
सिरसा: परिवार पहचान पत्र बनाने के लिए अधिकतर दिन तक वेबसाइट नहीं खुली। खुली भी तो कई बार वर्सर नॉटफाउंड दिखा। साइट पर अभिभावकों के फार्म अपलोड करते रिजेक्ट हो जाते थे। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्र में इंटरनेट की स्पीड न होना, बिजली की समस्या रही। शिक्षकों ने ऑफलाइन फार्म भरकर रखे हैं।
अम्बाला सिटी: अम्बाला में परिवार पहचान पत्र बनाने के लिए 1 लाख स्कूली बच्चाें के परिवाराें की वेरिफिकेशन की जा रही है। अभी तक 10 प्रतिशत लाेगाें की ही वेरिफिकेशन हाे पाई है। स्कूलाें में वेबसाइट ही नहीं चल रही। 25 अगस्त से 2 सितंबर तक पहचान पत्र की वेरिफिकेशन की जानी थी। मगर आगे बढ़ाने काे लेकर काेई निर्देश जारी नहीं हुए। हालांकि अध्यापक स्कूलाें में पहचान पत्र बनाने का कार्य अभी भी कर रहे हैं। ज्यादा स्कूलाें में कंप्यूटर टीचर, प्रिंटर भी नहीं है। इस वजह से लाेगाें से पहचान पत्र बनाने के लिए फार्म भरकर लिए जा रहे हैं। वेबसाइट चलने से एक दिन में 2 या 3 आईडी ही बन पा रही है। जिला में 60 प्रतिशत लाेगाें ने फार्म जमा करवाए हैं। जिनके बच्चे स्कूल में नहीं पढ़ते, वह भी स्कूलाें में आ रहे हैं, लेकिन सरकार ने उनके लिए काेई निर्देश जारी नहीं किए कि कब उनके लिए कैंप लगेंगे।
करीब 40 लाख परिवारों की आईडी बाकी
अब तक प्रदेश में करीब 19.75 लाख परिवारों की आईडी बन चुकी है, जबकि प्रदेश में करीब 60 लाख परिवार हैं। यानी करीब 40 लाख परिवारों की आईडी बननी हैं। सर्वर पर बड़ा बोझ मेरी फसल मेरा ब्यौरा को लेकर भी है, क्योंकि किसान भी इस पर रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं। कृषि विभाग ने सात सितंबर तक इसकी तारीख पहले ही बढ़ा दी थी।
सर्वर की कैपेसिटी बढ़ाने के प्रयास जारी
सर्वर पर प्रति सेकेंड 7000 रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं, जबकि केपेसिटी 1400 प्रति सेकेंड है। सर्वर स्लो हो जाता है। सर्वर की क्षमता बढ़ाने के प्रयास भी जारी हैं, जबकि अब प्रदेश के जिलों को बांटकर यह कार्य किया जाएगा। पहले 6 जिलों में, बाद में अन्य जिलों के ग्रुप बना कार्य करेंगे।