चीन की नई चाल:उत्तराखंड के लिपुलेख में सेना तैनात करने में जुटा चीन, इस क्षेत्र को लेकर भारत-नेपाल के बीच तनाव सूत्रों के मुताबिक, जुलाई में इस क्षेत्र में लगभग 1,000 सैनिक तैनात किए गए और सैन्य चौकी भी बनाई
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भारत ने मई में लिपुलेख-धाराचूला रास्ते की शुरुआत की, नेपाल ने विरोध कियाचीन लिपुलेख दर्रे पर अपनी सेना की तैनाती बढ़ाने में जुटा है। इस जगह को लेकर नेपाल और भारत के बीच पिछले कुछ महीनों से तनाव है। लिपुलेख भारत, नेपाल और चीन के बीच ट्राई-जक्शन है, जो उत्तराखंड में कालापानी घाटी में स्थित है।
जानकारी के मुताबिक, चीन ने वहां 150 लाइट कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड की तैनाती की है। ब्रिगेड को दो हफ्ते पहले तिब्बत से होकर चीन में लिपुलेख ट्राई-जक्शन की ओर ले जाया गया था।
भारतीय अधिकारियों को इसके बारे में दो हफ्ते पहले पता चला है। सीमा से लगभग 10 किमी दूर पाला में चीनी सैनिकों को तैनात किया गया था। सूत्रों ने कहा कि जुलाई में ही पाल के पास लगभग 1,000 सैनिक तैनात किए गए थे और चीन ने वहां एक स्थाई चौकी बनाई थी। करीब एक 15 दिन पहले और दो हजार सैनिकों को पोस्ट पर तैनात किया गया था।
नेपाल ने नए नक्शे में लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भारत ने मई में लिपुलेख-धाराचूला रास्ते की शुरुआत की थी। यह रास्ता उत्तराखंड में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर है। इससे तीर्थ यात्रियों, स्थानीय लोगों और कारोबारियों को सहूलियत मिलेगी। हालांकि, नेपाल को इस पर आपत्ति है। नेपाल का कहना है कि यह उसका हिस्सा है। साथ ही अपने नए नक्शे में इसे अपना हिस्सा बताया।
भारत-चीन के बीच तीन महीने से सीमा विवाद जारी
भारत-चीन के बीच भी कई जगहों पर सीमा विवाद को लेकर करीब तीन महीने से तनाव है। चीन भारत के कई जगहों पर अपना दावा कर रहा है, जिसका भारत ने विरोध किया है। चीन ने एक्चुएल लाइन ऑफ कंट्रोल के तीन सेक्टरों – पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल) और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल) में सेना, तोपों और ब़ख्तरबंद गाड़ियों को भी तैनात किया है। भारत और चीन के बीच कई दौर की मिलिट्री और डिप्लोमेटिक बातचीत के बावजूद सीमा तनाव का समाधान नहीं निकल पाया है।