गायकी के रसराज सुरों में विलीन:संयुक्त हिसार में जन्मे पंडित जसराज के निधन से संगीत और कला जगत में शोक की लहर पं. जसराज का अमेरिका में दिल का दौरा पड़ने से निधन
एसोसिएट प्रोफेसर रहीं मुदिता वर्मा ने पंडित जसराज पर किया था रिसर्च वर्क, जब एक कॉपी पंडित जी को सौंपी तो प्यार से सिर पर फेरा था हाथसुरों के सरताज पंडित जसराज नहीं रहे। संयुक्त हिसार में जन्मे पंडित जसराज का गांव पीलीमंदोरी अभी फतेहाबाद जिले में है। उनके निधन की खबर सुनते ही संगीत कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई। संगीत जगत में उन्होंने विश्व पटल पर हिसार और फतेहाबाद का नाम रोशन किया। हिसार के गवर्नमेंट कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर रहीं मुदिता वर्मा ने साल 2014 में पंडित जसराज के ऊपर ही अपना रिसर्च वर्क किया था। वह उनसे कई बार मिलीं। संगीत और उनके व्यक्तित्व को करीब से जाना। तफसील से कई विषयों पर बातचीत हुई। मुदिता वर्मा ने इन शब्दों के जरिये उन्हें याद किया… पढ़िए…
पंडितजी शास्त्रीय गायकी के क्षेत्र में समुंद्र की भांति थे और उस समुंद्र में गोते लगाकर कुछ ज्ञान मैं भी अर्जित करना चाहती थी, इसलिए रिसर्च की
पंडित जसराज का व्यक्तित्व जितना महान था, उतने ही वो स्वभाव से सरल थे। उनके निधन की खबर मन को गहरा आघात पहुंचा है। 2014 में पंडित जसराज के ऊपर ही अपना रिसर्च वर्क पूरा किया। मेरी पंडितजी से पहली मुलाकात करनाल में आयोजित हुए स्पीक मैके के कार्यक्रम में हुई थी। वहीं मैंने पंडित जसराज जी का इंटरव्यू लिया था। उस इंटरव्यू के बाद समझ में आया कि पंडितजी शास्त्रीय गायकी के क्षेत्र में समुंद्र की भांति थे और उस समुंद्र में गोते लगाकर कुछ ज्ञान मैं भी अर्जित करना चाहती थी।
यही वजह थी कि मैंने रिसर्च सब्जेक्ट के लिए पंडित जसराज को चुना। इसके बाद अपना रिसर्च वर्क पूरा करने के बाद जब पंडित जसराज पीली मंदौरी में 2005 में एक पार्क के शिलान्यास के लिए पहुंचे तो उनसे मिली और अपने रिसर्च वर्क की एक कॉपी पंडित को भेंट की थी। उस कॉपी को हाथ में लेकर पंडित जसराज ने बड़े प्यार से मेरे के सिर पर हाथ फेरा था। इसके बाद कई दफा मेरी पंडितजी से फोन पर बात होती थी।” -रि. एसोसिएट प्रोफेसर मुदिता वर्मा, गवर्नमेंट कॉलेज, हिसार।
पंडितजी के हाथों से गोल्ड मेडल पाकर मिला था सुकून
सितार आर्टिस्ट और गवर्नमेंट कॉलेज से रिटायर्ड एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रेणुका गंभीर ने कहा कि पंडितजी ने शास्त्रीय संगीत को एक नए आयाम में पहुंचाने का आयाम किया। पुराने दिनों को याद करते हुए डॉ. रेणुका गंभीर ने बताया कि सन् 1983 में जालंधर में आयोजित हुए हरि बल्लभ संगीत सम्मेलन में सितार वादन के लिए गोल्ड मेडल पंडित जसराज के हाथों ही पहनाया गया था। डॉ. रेणुका ने उस क्षण को जीवन के यादगार पलों में शुमार बताया।