बारिश ने व्यवस्था का दम निकाला:16 घंटे में शहर से निकला बारिश का पानी, 1 दिन में दोगुना हुआ यमुना का जलस्तर, सिंचाई विभाग ने छुट्टियां रद्द कीं बुधवार रात से गुरुवार दोपहर तक हुई भारी बारिश से पूरे शहर में था जल भराव, पानी निकालने में बीता शुक्रवारबुधवार रात से गुरुवार दोपहर बाद तक हुई झमाझम बारिश ने शहर की जल निकासी की व्यवस्था फेल कर दी। इस पानी को निकालने में निगम को 16 घंटे लगे। उधर बारिश से यमुना का जलस्तर एक ही रात में दाेगुना हाे गया है। किसी भी खतरे को देखते हुए सिंचाई विभाग ने कर्मियाें की छुट्टियां रद्द कर 24 घंटे निगरानी शुरू कर दी।
शुक्रवार को लगे रहे कर्मी : निगम क्षेत्र में जल निकासी की व्यवस्था मात्र 66 एमएम बारिश तक है लेकिन अचानक 220 एमएम बारिश होने से पूरी व्यवस्था फेल हो गई। सही तरीके से पानी निकालने काम गुरुवार शाम चार बजे के बाद ही शुरू हो पाया। सबसे ज्यादा पानी शनि मंदिर अंडर पास में जमा था। यहां करीब 1 कराेड़ 92 लाख लीटर से ज्यादा पानी निकाला गया।
निगरानी के लिए बनीं 6 टीमें: विभाग द्वारा छह टीमाें का गठन किया गया है। जिससे किसी भी आपात स्थिति में निवासियाें काे सुरक्षित निकालने और जलस्तर के अनुरूप बाढ़ प्रबंधन का कार्य किया जा सके। हालांकि इस साल विभाग द्वारा स्टड और किनाराें की मरम्मत का कार्य किया गया है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारी काेई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। अधिकारियाें का कहना है कि बरसात रुक गई है पानी आढ़े बढ़ जाएगा।
24 घंटे निगरानी करेंगी टीम: बीते साल अचानक यमुना में उफान आने से कई गांवों में नुकसान हुआ था। इस तरह की परेशानी खड़ी नहीं हाे, इसके लिए अधिकारियाें ने कर्मचारियाें काे 24 घंटे निगरानी शुरू की है। साेनीपत में यमुना की लंबाई करीब 42 किमी है। जिसमें साढ़े 300 से अधिक ठाेकरें हैं। इस साल भी तीन घाटाें पर 90 लाख से स्टड बनाया गया है। अधिकारी पल पल की निगरानी कर रहे हैं।
एक टीम सात किमी की करेगी निगरानी
सिंचाई विभाग द्वारा एक टीम काे सात किमी की निगरानी का निर्देश दिया गया है। इसमें एसडीओ स्तर के अधिकारी काे लीड करना है। इसके अलावा जेई और पटवारी सहित जिलेदाराें और कैनाल गार्ड काे इसमें शामिल किया है। इन सभी काे शिफ्टाें में निगरानी का निर्देश दिया गया है। करीब 20 गांव से सीधे ताैर पर यमुना से जुड़े हैं। इन गांवाें के लाेगाें काे भी जागरुक रहने का निर्देश दिया गया है। जिससे किसी भी स्थिति में इनको आसानी से व्यवस्थित किया जा सके।
सिंचाई विभाग द्वारा यमुना किनारे चाैकसी बढ़ा दी गई है। एक टीम काे सात किमी का हिस्सा साैंपा गया है। उस हिस्से में कटाव हाेने पर टीम की जिम्मेदारी हाेगी। हालांकि पानी तेजी से आगे बढ़ रहा है। किसी भी आपात स्थिति की आशंका नहीं है। मैं स्वयं दाैरा करके आया हूं। अश्वनी फाैगाट, एक्सईएन सिंचाई विभाग साेनीपत।
बरसात के बाद दाेगुना हुआ जलस्तर
पिछले दिनाें तक यमुना में करीब 250 क्यूसिक से 300 क्यूसिक पानी चल रहा था। जाे बरसात के बाद गुरुवार रात काे करीब 700 क्यूसिक हाे गया और शुक्रवार की शाम तक यह करीब साढ़े 500 क्यूसिक हाे गया था। सामान्य ताैर पर यमुना में साढ़े 500 क्यूसिक तक काेई समस्या नहीं हाेती है। लेकिन जब 600 क्यूसिक तक हाे जाता है, तब बाढ़ का खतरा बन जाता है। जिसके मद्देनजर गुरुवार की रात काे अधिकारियाें की टेेंशन बढ़ गई थी। हालांकि बरसात रुकने के कारण यह पानी आगे बढ़ रहा है। जिससे जलस्तर कम हाेता जा रहा है।
यह कार्य इस साल कराया गया है : पानी रोकने के लिए स्टड बनाने पर इस साल 90 लाख खर्च हुआ है। बेगा घाट पर 55.46 लाख से चार स्टड और मीमारपुर में दाे स्टड करीब 8.46 लाख से बना है। टिकाेला में कार्य किया गया है। पिछले साल हथिनीकुंड बैराज से पानी छाेड़ा था, तो यमुना में उफान आने से 85 एकड़ फसल जलमग्न हुई थी। इसलिए इस साल 250 फीट की रिवेटमेंट और चार पुरानी ठोकरों की मरम्मत का कार्य भी किया गया है। इस कार्य करीब 55.78 लाख रुपए से किया गया है। जिले की सीमा में लगभग 350 स्टड हैं।