धरोहर के संरक्षण की मांग:ध्यान नहीं दिया तो किसी भी समय ढह जाएगी राजा उदय सिंह की 18वीं शताब्दी में बनी हवेली इतिहासकार बोले – राजा-महाराजाओं से लेकर अंग्रेजों तक ने किया इस इमारत का प्रयोग, यहां बनाया जाए सरस्वती संग्रहालयकिसी जमाने में पीडब्ल्यूडी का रेस्ट हाउस रही ऐतिहासिक इमारत भाई उदय सिंह की हवेली देखभाल न होने के कारण गिरने के कगार पर है। यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो किसी भी समय यह सैकड़ों वर्ष पुरानी हवेली जमींदोज हो सकती है।
तहसील कार्यालय के बिल्कुल निकट स्थित पुराना रेस्ट हाउस के नाम से जानी जाने वाली यह इमारत 18वीं शताब्दी में तत्कालीन राजा भाई उदय सिंह द्वारा बनवाई गई धरोहर है। इतिहासकारों के मुताबिक उस समय पिहोवा में पशु मंडी लगती थी जिसके संचालन का पूरा अधिकार जींद रियासत के राजा भाई उदय सिंह को था।
उदय सिंह मेले के समय इस हवेली में आकर यहां पशु खरीदने-बेचने के सिलसिले में आने वाले व्यापारियों और दुकानदारों से लगान एकत्रित किया करता था लेकिन दशकों पहले इस बेमिशाल इमारत में पीडब्ल्यूडी ने रेस्ट हाउस बना रखा था। यहां वीआईपी मेहमानों को ठहराया जाता था। देखरेख न होने के चलते यह भव्य इमारत खंडहर में तब्दील होती रही और दो नए रेस्ट हाउस बनाने के बाद इस बिल्डिंग की हालत और अधिक खस्ता हो गई क्योंकि लोगों को अब इसकी जरूरत न के बराबर ही थी।
लिहाजा, अब इस बिल्डिंग को कंडम घोषित करके यहां बोर्ड लगा दिया गया है कि यह बिल्डिंग किसी भी समय ढह सकती है इसलिए इससे दूर ही रहा जाए। इतिहासकार राजेंद्र राणा व इतिहासकार विनोद पंचोली ने बताया कि यह हवेली कैथल के राजा भाई उदय सिंह ने बनवाई थी। उदय सिंह लकवाग्रस्त थे। वह 1823 ई. में राजा बने थे और करीब 20 साल तक राजा के पद रहे। इस दौरान उन्हाेंने एक किला, हवेली व सरस्वती पर एक पुल का निर्माण भी करवाया था। इसके अलावा हरनोली चीका में भी एक किला बनवाया था।
1843 ई. में बीमारी के कारण इनकी मौत हो गई थी। इसके बाद अंग्रेजों ने इनके राज्य पर कब्जा करके इस हवेली को भी अपने अधीन कर लिया। अंग्रेजी शासन समाप्त होने पर प्रदेश सरकार ने इसमें रेस्ट हाउस बना दिया जो हाल ही के वर्षों तक रहा। अब देखभाल न होने से यह उपेक्षा का शिकार हो रही है और गिरने के कगार पर है।
मुख्यमंत्री से मिलकर धरोहर के संरक्षण का प्रयास किया जाएगा : विनोद पंचोली
सामाजिक सगठनों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी के पास अपने इंजीनियर और वह सब कुछ है जिससे इस हवेली के स्वरूप को जिंदा रखा जा सकता है लेकिन प्रयास ही नहीं किया जा रहा। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि इसे संरक्षित करके इसमें सरस्वती संग्रहालय बनाया जाए। इतिहासकार विनोद पंचोली ने कहा कि उसके पास जो भी प्राचीन सिक्के, मूर्तियां व मिट्टी के पुरातात्विक सामान है। वे सब सौंपने को तैयार हैं। बशर्ते यहां संग्रहालय का निर्माण हो। उन्होंने कहा कि जल्द ही खेल राज्यमंत्री संदीप सिंह के मार्फत मुख्यमंत्री मनोहर लाल तक मांग पहुंचाकर इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण का प्रयास किया जाएगा।