माॅनसून पार्ट-1 से 214 मिलीमीटर बरसात, पार्ट-2 भी रहेगा खास आधा हरियाणा में झमाझम बरसा, आधे में आधी बरसात भी नहीं 10 बरस में जुलाई की सबसे अधिक बरसात, प्रदेश में 26.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी फसलों की बिजाई
अब अगस्त के दूसरे सप्तामानसून का पार्ट-1 यानी जून-जुलाई बीत गया है। हरियाणा में दो माह की अवधि में 214 एमएम बरसात हुई है। जो सामान्य से पांच प्रतिशत अधिक है। सामान्य बरसात 203 एमएम होती है। आज यानी एक अगस्त से मानसून का पार्ट-2 यानी दूसरा हिस्सा शुरू हो गया है। यह 30 सितंबर तक जारी रहेगा।
वर्ष 2010 के बाद पहली बार हुआ है जब जुलाई में सर्वाधिक बरसात दर्ज की गई है। प्रदेश में एक जून से 30 सितंबर तक मानसून की अवधि मानी जाती है। मानसून सीजन में औसतन प्रदेश में 460 एमएम बरसात होती है, लेकिन पिछले दो दशक से यह आंकड़ा करीब 400 एमएम के आस-पास आ गया है।
पिछले 16 साल में प्रदेश में मानसून सीजन में वर्ष 2005 में 476 एमएम, 2008 में 536 एमएम, 2010 में 557 एमएम और 2018 में 415 एमएम बरसात हुई थी। जुलाई में वर्ष 2010 में प्रदेश में 175 एमएम बरसात हुई थी। तब के बाद अब अच्छी बरसात दर्ज की गई है। मानसून के पहले दो माह यानी 61 दिन की अवधि में 11 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य या सामान्य से अधिक बरसात हुई है।इन फसलों की हो चुकी बिजाई : खरीफ सीजन में प्रदेश में 26.98 लाख हेक्टेयर में फसलों की बिजाई हो गई है। जो पिछले साल से करीब 13 हजार हेक्टेयर कम है। लक्ष्य यानी 30.56 लाख हेक्टेयर फसल बिजाई का अब तक 87.86 फीसदी एरिया में बिजाई हो चुकी है।
लो प्रेशर एरिया कम बन रहा है, अरब सागर से कम सिस्टम कम बन रहे हैं, पश्चिम विक्षोभ भी कम आ रहे हैं। अगस्त के दूसरे सप्ताह से यह तेजी पकड़ेगा। अब फिर से एंटी साइक्लोन भी कई बार बन चुके हैं, इससे मानसून सक्रिय नहीं होता। डॉ. सुरेंद्र पाल, निदेशक, आईएमडी, चंडीगढ़।ह से सक्रिय होगा मानसून