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चीन का विरोध जरूरी:एशिया में भारत को चीन की विस्तारवादी नीतियों का विरोध करना जरूरी;

चीन का विरोध जरूरी:एशिया में भारत को चीन की विस्तारवादी नीतियों का विरोध करना जरूरी; भारत ही उसे रोकने की ताकत रखता है: रिपोर्ट भारत और चीन के बीच लद्दाख में झड़प हुई, दक्षिण चीन सागर में भी चीन छोटे देशों को परेशान कर रहा
हॉन्गकॉन्ग में चीन वहां के लोगों की आजादी छीनने वाला कानून ला चुका है, वहां पूरा कब्जा जमाने की कोशिश
लद्दाख में भारत और चीन की झड़प के बाद दोनों देशों में तनाव जारी है। चीन एशिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में अपना दबदबा कायम करने के लिए हर हथकंडा अपना रहा है। एक एक्सपर्ट का मानना है कि भारत को इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की जरूरत है। क्योंकि, वही चीन को जवाब देने में ज्यादा सक्षम देश है। इस क्षेत्र के बाकी देशों को भी भारत का साथ देने की जरूरत है।

भारत की बड़ी भूमिका
फ्रीडम गैजेटी के एडिटर मोहम्मद जीशान ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में एक आर्टिकल में भारत की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “चीन को जवाब देने के लिए बराबर की ताकत चाहिए। यानी शक्ति संतुलन होना चाहिए। इसके लिए एशिया और प्रशांत महासागर के देशों को साथ आने की जरूरत है। भारत की यहां अहम भूमिका होगी।”

भारत को अब चुप नहीं रहना चाहिए
जीशान ने कहा, “जियोपॉलिटकल मामलों में भारत कई बार चुप रहता है। अब ऐसा नहीं होना चाहिए। वियतनाम से उसके सैन्य रिश्ते बढ़ रहे हैं। 2016 में फिलीपींस और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर विवाद से भारत दूर रहा था। लेकिन, अब उसे इन मामलों में दखल देना चाहिए। इस क्षेत्र के दूसरे देशों जैसे जापान और ऑस्ट्रेलिया से रिश्ते मजबूत करने चाहिए।”

विदेश नीति में बदलाव जरूरी
चीन की हरकतों को काबू में रखने पर जीशान ने कहा, “भारत को अब बेझिझक हॉन्गकॉन्ग और ताइवान के मसलों पर बोलने की जरूरत है। क्योंकि, ये दोनों देश ट्रेड के लिहाज से बेहद अहम हैं। भारत बड़ी आर्थिक ताकत है। भारत चीन से इम्पोर्ट ज्यादा करता है।” भारत ने पहले एशिया-प्रशांत महासागर क्षेत्र में इकोनॉमिक पार्टनरशिप पर ज्यादा फोकस नहीं किया, यह गलती थी।

बैलेंस जरूरी
जीशान ने भारत द्वारा हाल ही में चीन के खिलाफ उठाए गए आर्थिक कदमों को समर्थन किया। उनके मुताबिक, इससे भारत को ही फायदा होगा। उन्होंने कहा, “यह बात सही है कि इस क्षेत्र की दो बड़ी ताकतों के बीच तनाव नहीं बढ़ना चाहिए। लेकिन, दोनों देशों में पावर बैलेंस होना भी जरूरी है। भारत के लिए ये जरूरी है कि वो इस क्षेत्र में लीडरशिप के लिए आगे आए।”

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