मध्य प्रदेश की सियासत:मोहन भागवत भोपाल में; दिग्विजय ने कहा- स्वयंसेवकों से मुख्यमंत्री, मंत्रियों के आचरण और भ्रष्टाचार की गुप्त रिपोर्ट जरूर लें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भोपाल में संघ की कोर कमेटी के सदस्यों के साथ बात करेंगे, वे सोमवार रात में भोपाल पहुंचे
दिग्विजय ने एक अन्य ट्वीट में राम मंदिर शिलान्यास की तिथि 5 अगस्त पर भी सवाल उठाया, कहा- ये मोदी की सहूलियत के हिसाब से तय की गईराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भोपाल में हैं। वे यहां संघ की कोर कमेटी के सदस्यों के साथ बात करेंगे। भागवत सोमवार रात भोपाल पहुंचे। उनके साथ सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी भी हैं। भागवत यहां पांच दिन रहेंगे। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि संघ प्रमुख को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मंत्रियों की खुफिया रिपोर्ट जरूर लेनी चाहिए।दिग्विजय ने दूसरा ट्वीट किया- ‘मध्यप्रदेश में विधायकों की खरीद-फरोख्त की भी अवश्य जानकारी लें। संघ इस प्रकार के प्रजातंत्रीय व्यवस्था में विधायकों के आचरण और फिर उन्हें बिना विधायक रहे मंत्री बनाने में क्या सोचता है, उसे भी अवश्य स्पष्ट करने की कृपा करें।’
तीसरे ट्वीट में कहा- ‘हम सनातन धर्म को पालन करने वालों को इस बात पर आपत्ति है मोदीजी। आपने किसी भी प्रमाणित शंकराचार्यजी और रामानन्दी सम्प्रदाय के धर्म गुरू को न्यास में स्थान नहीं दिया। शिलान्यास की तिथि भी मोदीजी की सहूलियत से तय की गई है। क्या यह शुभ मुहूर्त है?’मंत्री अरविंद भदौरिया ने दिग्विजय पर अभद्र टिप्पणी की थी
दो दिन पहले मध्य प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया का भिंड में एक सभा संबोधित करते हुए एक वीडियो सामने आया था। शनिवार रात वे भिंड में प्रदेश में कमलनाथ सरकार के गिरने की कहानी सुना रहे थे। भदौरिया ने कहा था कि 22 दिन 22 विधायक (कांग्रेस के) बेंगलुरु में रहे। उससे पहले 13-14 विधायक उनके पास थे। तब दिग्विजय सिंह, उनका बेटा जयवर्धन सिंह और जीतू पटवारी होटल में आए, गुंडागर्दी की। मैंने कहा- मैं चंबल से आता हूं, मेरा नाम अरविंद सिंह भदौरिया है। चंबल का आदमी प्यार से बात करता है, गुंडागर्दी से नहीं। उसके बाद दिग्विजय ने मुझे खरीदने की कोशिश की। मैंने कहा कि तुम्हारे बाप भी मुझे नहीं खरीद पाएंगे। बाद में उन्होंने मेरे भाई को पुलिस थाने बुलवाया। घर पर पुलिस भेजी। मेरे नौकर को पकड़ लिया। फिर भी सरकार नहीं बचा पाए।