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मिलिट्री पावर बढ़ाने की कोशिश :अमेरिका ने हायपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट किया

मिलिट्री पावर बढ़ाने की कोशिश :अमेरिका ने हायपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट किया, इसकी रफ्तार ध्वनि की तुलना में 17 गुना तेज आर्मी अफसर का दावा- अमेरिका ने मार्च में प्रशांत महासागर में आवाज की रफ्तार से 17 गुना तेज मिसाइल का टेस्ट किया
रूस और चीन के पास पहले से ही इस तरह की मिसाइलें मौजूद, दोनों ही देश 2019 में इन्हें नेवी को सौंप चुके हैंअमेरिका ने ऐसी हायपरसोनिक मिसाइल तैयार कर ली है जिसकी रफ्तार ध्वनि यानी आवाज की तुलना में 17 गुना तेज है। अमेरिकी सेना के एक सीनियर अफसर के मुताबिक- इस हायपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट मार्च में प्रशांत महासागर में किया गया था। यह पूरी तरह कामयाब रहा। सीएनन ने एक रिपोर्ट में इस टेस्ट की जानकारी दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मई में ही इस तरह की मिसाइल तैयार करने की तरफ इशारा किया था। हालांकि, यह पहली बार है जब किसी सैन्य अधिकारी के हवाले से यह दावा किया गया हो।

अमेरिका अब एक क्रूज मिसाइल की भी टेस्टिंग करने जा रहा है। हालांकि, यह एटमी ताकत से लैस नहीं होगी। 20 मार्च को अमेरिका ने ध्वनि की रफ्तार से 5 गुना तेज मिसाइल के सफल टेस्ट की जानकारी जरूर दी थी।

40 हायपरसोनिक मिसाइलों का टेस्ट करेगा अमेरिका

अमेरिका के डिफेंस रिसर्च एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के डायरेक्टर मार्क लेविस ने 30 जून को कहा था- हम चार साल में हायपरसोनिक मिसाइलों की 40 फ्लाइट टेस्ट करेंगे। अमेरिका प्रशांत महासागर क्षेत्र में लंबी दूरी की मिसाइल एक्स-51 का टेस्ट पहले ही कर चुका है। ऐसे हथियारों के मामले में रूस और चीन आगे हैं। इसे देखते हुए ट्रम्प प्रशासन भी हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार करने पर ध्यान दे रहा है। अमेरिकी रक्षा वैज्ञानिक ने कहा- चीन ने अमेरिकी सूत्रों का इस्तेमाल करके यह टेक्नोलॉजी हासिल की है।

रूस और चीन के पास पहले से मौजूद हैं ऐसी मिसाइल

हायपरसोनिक मिसाइलें आम तौर पर ध्वनी की रफ्तार से 5 गुना तेजी से टारगेट पर सटीक निशाना लगा सकती हैं। इन्हें काफी ऊंचाई से दागा जा सकता है। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने दिसंबर 2019 में ही अपने रक्षा बेड़े में पहली हायपरसोनिक मिसाइल एवनगार्ड को शामिल करने का ऐलान किया था। वहीं चीन ने रूस से दो महीने पहले अक्टूबर 2019 में अपने डीएफ-17 हायपरसोनिक मिसाइल की जानकारी दी थी।

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