मोक्ष के दाता शिव / सावन के दूसरे साेमवार पर भक्ताें ने किया भगवान शिव का जलाभिषेक, काेराेना महामारी से निजात पाने की मांगी दुआ श्रीअवधधाम मंदिर में भक्ताें ने मंदिर में पहुंचकर किए शिव के दर्शन, समिति ने साेशल डिस्टेंसिंग का रखा ध्यानसावन के दूसरे साेमवार पर भक्ताें ने सभी प्रमुख मंदिराें में जाकर जलाभिषेक किया। 1008 बेल पत्रों के साथ भगवान शंकर का बेलपततःअभिषेक किया गया।
श्री अवधधाम मंदिर में नमक चमक विधि से प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित राधे-राधे महाराज के सानिध्य में विद्वान ब्राह्मणों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रुद्री के संपूर्ण पाठ से भगवान शंकर का अभिषेक किया गया। दाऊजी महाराज की अध्यक्षता एवं मार्गदर्शन में विशेष पूजा की गई।
दाऊजी ने बताया कि इस काेरोना महामारी से शीघ्र ही नगर को छुटकारा मिले ऐसी प्रार्थना भगवान शंकर के चरणों में की गई। अभी महादेव का प्रिय माह सावन चल रहा है। शिव पूजा में शिवलिंग पर अलग-अलग चीजें चढ़ाई जाती है। इन चीजों में फूल-पत्तियां का विशेष महत्व है। शिवजी को बिल्व पत्र के साथ ही शमी के पत्ते भी अर्पित करना चाहिए।
सावन में रोज सुबह शिव मंदिर जाएं और तांबे के लोटे में गंगाजल या पवित्र जल में गंगाजल, चावल, सफेद चंदन मिलाकर शिवलिंग पर ‘ऊँ नम: शिवाय’ मंत्र बोलते हुए अर्पित करें। जल चढ़ाने के बाद शिवजी को चावल, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र, जनेऊ और मिठाई के साथ ही शमी के पत्ते भी चढ़ाएं।
सेवा का दूसरा नाम शिव : पंडित राधे-राधे
राधे-राधे महाराज ने शिव पुराण पर बोलते हुए कहा की सेवा का दूसरा नाम ही शिव है, क्योंकि बिना सेवा के शिव की प्राप्ति करना असंभव है। यदि हम शिव की प्राप्ति चाहते हैं तो हमें सेवा की भावना सर्वप्रथम अपने हृदय के अंदर जागृत करनी होगी। जब तक हम दीन दुखियों की सेवा नहीं करेंगे तब तक भगवान शंकर की प्राप्ति नहीं कर पाएंगे। हमारे पास शिव की प्राप्ति के लिए केवल एक ही विकल्प है वह सेवा का प्रकल्प।
सेवा के प्रकल्प को खुला रखेंगे तो भगवान शंकर का हृदय से दर्शन एवं साक्षात रूप में प्रकट कर पाएंगे। द्वादश ज्योतिर्लिंग का निर्माण करके पूजा करते हैं तो समझो हम 84 लाख योनियों से मुक्ति के द्वार पर खड़े हैं। यदि हम 84 के फेर से निकलना चाहते हैं तो भगवान शंकर के फेर में तो आना पड़ेगा। क्योंकि भगवान शंकर ही मोक्ष के दाता हैं। मोक्ष और मुक्ति का यदि सरल उपाय जानना चाहते हैं तो केवल मात्र भगवान शंकर हैं।