कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा से रिपोर्ट / मथुरा में अनलॉक हुए सिर्फ दो मंदिर; 100 करोड़ से ज्यादा की कमाई वाला मुडिया पूनो मेला कैंसिल, कथावाचकों की एडवांस बुकिंग रद्द मंदिरों के बंद रहने और कोरोना की वजह से करीब चार हजार तीर्थ पुरोहित बिना जजमानों के खाली ही बैठे हैं
हर महीने15 लाख लोग गाेवर्धन पहाड़ की परिक्रमा लगाने आते थे, महीने में 80 लाख रुपए तक का चढ़ावा आता था
मथुरा में होटल खाली पड़े हैं, पोशाक बेचने वाले, प्रसाद वाले, मिठाई वाले, टैक्सी-ट्रैवल्स सबके कारोबार ठप पड़े हैंमथुरा. वृंदावन के बिहारी पुरा में रहने वाले 42 साल के पंकज शर्मा हर दिन सुबह स्नान के बाद बांकेबिहारी मंदिर दर्शन के लिए जाते हैं। वे ऐसा पिछले कई सालों से करते आ रहे हैं, दर्शन के बाद ही वे पानी पीते हैं। कोरोना के चलते मंदिर बंद हो गया तो वे हर दिन देहरी को छूकर ही लौटने लगे।13 साल की उम्र में पिता और 20 की उम्र में मां को खो देने वाले पंकज कहते हैं, ‘हमारो तो ठाकुर ही अब मां-बाप दोनों है। दर्शन न मिले ऐसो कभऊ ना भयो, बस जे कोरोना ने दूर कर दये, अब हमारे लाने तो मंदिर की देहरी मिल जाए जई सौभाग्य की बात।’अभी सिर्फ दो ही मंदिर खुले हैं
वृंदावन में सैकड़ों ऐसे भक्त हैं जो मंदिर की देहरी छूकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं। 8 जून के बाद से देश में कई मंदिर खुल गए, मथुरा में भी खुले हैं, लेकिन सिर्फ दो। वह भी मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और श्री द्वारिकाधीश मंदिर। पांच हजार से अधिक मंदिरों वाले मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना और गोवर्धन में श्रीबांके बिहारी मंदिर, गोविंददेव जी मंदिर, कृष्ण-बलराम मंदिर (इस्कॉन मंदिर), पागल बाबा मंदिर, प्रेम मंदिर, निधिवन मंदिर, रमन रेती आश्रम-महावन, श्रीलाडली जी मंदिर, बलदेव मंदिर, मुकुट मुखारबिंद समेत बृज के छोटे-बड़े सभी मंदिर अभी आम लोगों के लिए बंद हैं।कोरोना की भेंट चढ़ गया मुडिया पूनो
बृज का प्रमुख मेला और उत्तर प्रदेश सरकार का राजकीय त्योहार मुडिया पूनो (गुरू पूर्णिमा) भी कोरोना की भेंट चढ़ गया है। एक से पांच जुलाई तक चलने वाले मेले में गोवर्धन में एक करोड़ से ज्यादा लोग आते थे। संकरी गलियों वाले बृज क्षेत्र में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन मुमकिन न होने की आशंका के कारण इस मेले को ही कैंसिल कर दिया गया है।
मंदिरों के बंद रहने और इक्का-दुक्का ट्रेनें चलने के कारण धार्मिक पर्यटन पर टिकी मथुरा की अर्थव्यवस्था घुटनों पर आ गई है। होटल खाली पड़े हैं, पोशाक बेचने वाले, प्रसाद वाले, मिठाई वाले, टैक्सी-ट्रैवल्स सबके कारोबार प्रभावित हो रहे हैं। करीब चार हजार तीर्थ पुरोहित भी बिना जजमानों के खाली ही बैठे हैं।
उत्तर प्रदेश बृज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजा कांत मिश्रा कहते हैं कि इस क्षेत्र में एक साल में 2.5 से तीन करोड़ लोग आते हैं। लोग यहां करीब पांच हजार से अधिक मंदिरों के दर्शन करते हैं, गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं। रोज 15 हजार गाड़ियां आती हैं। बृज तीर्थ विकास परिषद तीर्थ स्थानों पर सुविधाएं तैयार करने का काम करता है, अभी 42 स्थानों पर 300 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट चल रहे हैं।100 करोड़ से ज्यादा का व्यापार ठप
गुरूपूर्णिमा पर लगने वाले मुडिया पूना मेले के स्थगित होने का सबसे ज्यादा असर गोवर्धन पर पड़ा है। गोवर्धन के प्रमुख मंदिर दानघाटी के मुख्य सेवायत पवन कौशिक कहते हैं कि आमतौर पर एकादशी से पूर्णिमा तक के पांच दिनों में आठ से 10 लाख लोग और हर महीने करीब 15 लाख लोग गाेवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने आते थे। अब लोगों का आना करीब-करीब बंद है। महीने में 60 से 80 लाख रुपए का चढ़ावा आता था, अभी वो भी लगभग बंद है।
परिक्रमा मार्ग में ही करीब 200 मंदिर पड़ते हैं, सभी बंद हैं, इनसे जुड़े सेवायतों, पुजारियों, प्रसाद बेचने वालों सभी का करोबार बंद है। वहीं, मुडिया पूनो पर गोवर्धन में ही सौ करोड़ से अधिक रुपए का व्यापार हो जाता था, लेकिन इस बार मेला कैंसिल होने के कारण फूल वाले, होटल वाले, रेस्त्रां वाले, टेम्पो-टैक्सी सबका कारोबार ठप्प हो गया है।दो मंदिर खुले लेकिन भक्त नहीं पहुंच रहे
मथुरा में जो दो मंदिर खुले हैं वहां दाेनों मंदिरों से भी भक्त नदारद हैं। जन्मभूमि में 20 जून की आरती के समय मंदिर प्रबंधन और सिक्योरिटी वालों को छोड़ दें तो सिर्फ 6 लोग ही विशाल हॉल में मौजूद थे।