भारत-चीन सीमा विवाद / चीन के कमांडिंग ऑफिसर समेत 40 सैनिक मारे गए; 24 घंटे में चीन का दूसरा बयान, कहा- गालवन वैली हमेशा से हमारी रही है चीन से जारी तनाव के बीच हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिले में अलर्ट घोषित कर दिया गया है, इन जिलों की सीमाएं चीन से लगती हैं
ब्रिटेन ने कहा- हमारी हालात पर नजर, भारत और चीन बातचीत के जरिए विवाद सुलझाएं, हिंसा से किसी को फायदा नहीं होगालद्दाख. भारत और चीन के सैनिकों के बीच गालवन घाटी में हुई झड़प का मामला बढ़ गया है। न्यूज एजेंसी ने बुधवार को सूत्रों के हवाले से कहा कि चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं, जिनमें यूनिट का कमांडिंग अफसर भी शामिल है। यह अफसर उसी चीनी यूनिट का था, जिसने भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प की। भारत के 4 जवानों की हालत गंभीर बताई जा रही है। 15-16 जून की दरमियानी रात को गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के कमांडिंग अफसर समेत 20 जवान शहीद हो गए थे, 135 जख्मी हैं।
झड़प के करीब 36 घंटे बाद पहली बार भारत की तरफ से बयान जारी हुआ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने का कि गालवन में सैनिकों ने अदम्य साहस दिखाया। देश उनकी शहादत हमेशा याद रखेगा। तीन घंटे चली यह झड़प दुनिया की दो एटमी ताकतों के बीच लद्दाख में 14 हजार फीट ऊंची गालवन वैली में हुई। यह हमला पत्थरों, लाठियों और धारदार चीजों से किया गया। उसी गालवन वैली में, जहां 1962 की जंग में 33 भारतीयों की जान गई थी। उधर, भारत ने चीन की तरफ हुई बातचीत इंटरसेप्ट की थी। इसके मुताबिक, चीन के 43 सैनिक हताहत होने की खबर है, लेकिन चीन ने यह कबूला नहीं है।चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियन ने कहा कि गालवन घाटी की संप्रभुता हमेशा से चीन के हिस्से ही रही है। भारतीय सेना ने बॉर्डर प्रोटोकॉल तोड़ा। उन्होंने न केवल सीमा का उल्लंघन किया, बल्कि कमांडर लेवल की बातचीत का भी ध्यान नहीं रखा। हम भारत से कहना चाहते हैं कि वे अपनी अग्रिम टुकड़ियों को अनुशासन में रहने को कहें। उकसाने वाली गतिविधियां न करें और हमारे साथ मिलकर काम करें, ताकि विवादों को बातचीत के जरिए हल करने की सही दिशा में बढ़ा जा सके। हम और झड़प नहीं चाहते।
चीन से जारी तनाव के बीच हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिले में अलर्ट घोषित कर दिया गया है। इन जिलों की सीमाएं चीन से लगती हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इस कवायद का मकसद स्थानीय लोगों को खतरे से बचाना और खुफिया जानकारी जुटाना है। पुलिस ने कहा कि लोगों की हिफाजत के लिए तमाम जरूरी कदम उठाए गए हैं।
राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों से चर्चा की। आज सेना बयान जारी कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच सीमा पर जो बातचीत चल रही थी, वह बेनतीजा रही।
सूत्रों के मुताबिक- हिंसक झड़प में चीनी सैनिकों को भी काफी नुकसान हुआ। यह बात इसलिए सामने आई, क्योंकि झड़प के बाद घटनास्थल पर कई चीनी एम्बुलेंस आईं। साथ ही चीनी हेलिकॉप्टर की मूवमेंट भी बढ़ी।
भारतीय सूत्रों ने यह भी कहा कि चीन की तरफ के कितने सैनिक मारे गए, इस बारे में स्पष्ट तौर से बता पाना तो मुश्किल है, लेकिन यह संख्या 40 या इससे ज्यादा हो सकती है।
अमेरिकन इंटेलिजेंस के मुताबिक- झड़प में एक चीनी अफसर समेत 35 सैनिक मारे गए। यह तब हुआ, जब दोनों पक्षों के बीच सीमा पर शांति को लेकर बातचीत चल रही थी।
भारत में ब्रिटिश हाईकमीशन के प्रवक्ता ने कहा कि हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं। हम यही चाहेंगे कि भारत और चीन बातचीत के जरिए विवाद सुलझाएं। हिंसा से किसी को फायदा नहीं होगा।
सीमा पर तनाव, राजनीति भी शुरू
राहुल ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री कहां हैं? वे छिपे हुए क्यों हैं? अब बहुत हुआ। हम जानना चाहते हैं कि आखिर क्या हुआ। हमारे सैनिकों को मारने की चीन की हिम्मत कैसे हुई। वह हमारी जमीन पर कब्जा करने की हिम्मत कैसे कर सकता है?’’ वहीं दिग्विजय ने ट्वीट किया कि मोदी की विदेश यात्राएं कितनी सफल रहीं, इसका प्रमाण दें। प्रधानमंत्री जुमलेबाजी छोड़कर हर क्षेत्र में असफल रहे।
45 साल पहले चीन ने ऐसे ही धोखा दिया था
20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीन ने असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर धोखे से एम्बुश लगाकर हमला किया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे। इसके 45 साल बाद चीन बॉर्डर पर हमारे सैनिकों की शहादत हुई है।
चीन रुक-रुककर सैनिकों के शव भेज रहा, कुछ सैनिक नदी में गिर गए थे
सेना के सूत्रों ने बताया कि 15 से 20 सैनिक लापता हैं। इनमें से कुछ चीन के कब्जे में हैं।