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अमिताभ की मदद से लौटे प्रवासियों की कहानी (यूपी:)

यूपी: अमिताभ की मदद से लौटे प्रवासियों की कहानी / ट्रेन टिकट के पैसे नहीं थे, पहली बार प्लेन में सफर किया; सबके चेहरे पर दिखा घर पहुंचने का सुकून अमिताभ बच्चन की मदद से मुंबई में फंसे उत्तर प्रदेश के 720 श्रमिक 4 विमानों से कल वाराणसी, प्रयागराज और गोरखपुर पहुंचे। वाराणसी में 2 विमानों से 354 लोग आए। ये सभी लॉकडाउन की वजह से मुंबई में फंस गए थे और परिशानियों का सामना कर रहे थे। अपने शहर पहुंचने का इनके चेहरों पर सुकून साफ झलक रहा था। सभी ने पहली बार हवाई जहाज में सफर किया था। दैनिक भास्कर ऐप ने वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर ही इन लोगों से बातचीत की। 6 प्रवासियों की कहानी, उनकी जुबानी…

बिग बी मदद नहीं करते तो वापस न आ पाता
भदोही के रहने वाले कमलेश वर्मा इलेक्ट्रिशियन हैं। वे मुंबई में काम करते हैं। लॉकडाउन में उनका काम ठप हो गया। पत्नी, चार बच्चे और बुजुर्ग मां साथ थीं। कमलेश बताते हैं कि लॉकडाउन में वहां जैसे-तैसे परिवार का पेट भर रहा था। उन्होंने कहा कि मुझे जानकारी नहीं थी, इसलिए एजेंट को 9 हजार रुपए देकर विमान से वापसी का इंतजाम किया। बाद में पता चला कि अमिताभ जी ने एक भी पैसा नहीं लिया है। फिर भी कोई बात नहीं। अमिताभ जी मदद नहीं करते तो कभी घर नहीं आ पाते।

पहली बार प्लेन में बैठा, यह जीवनभर याद रहेगा
जौनपुर के विनोद तिवारी करीब 12 सालों से मुंबई में रहकर टैक्सी चलाते थे। विनोद बताते हैं कि यहां एयरपोर्ट पहुंचा तब जान में जान आई। महाराष्ट्र के हालत बहुत ज्यादा खराब हैं। काम-धंधा सब चौपट हो गया है। मेरे पास ट्रेन का किराया भी नहीं था। वहां डर लग रहा था कि कुछ हो गया तो अपने भी नहीं पहुंच पाएंगे। लेकिन बिग बी ने हमारी मदद की। पहली बार प्लेन में बैठा, वह भी फ्री में। यह पल जीवन भर याद रहेगा। अमिताभ जी को दिल से दुआ है
जौनपुर के रहने वाले राजेश कुमार कई सालों से महाराष्ट्र में ऑटो चलाते थे। वे बताते हैं कि मेरा वहां रोज खाने कमाने वाला जीवन था। 8 महीनों से वहीं था। रोज यही सोचता था कि कुछ हो न जाए, नहीं तो परिजन मिल न पाएंगे। पैसे भी खत्म हो गए। किराए के लिए लगातार सेठ दबाव बनाता रहता। घर वापसी के किराए के लिए भी पैसे नहीं थे। अमिताभ जी को दिल से दुआ है। उन्होंने गरीबों की दिल की बात सुन ली। पहली बार प्लेन से सफर किया। यहीं रोजगार मिले तो कभी लौटकर नहीं जाऊंगी
गोरखपुर की रहने वाली आशा महाराष्ट्र में शॉपिंग मॉल में काम करती थीं, लेकिन लॉकडाउन के चलते मॉल बंद हुए तो आशा बेरोजगार हो गईं। वे अपनी कमाई से माता-पिता, भाई-बहनों का खर्च उठाती थीं। आशा कहती हैं कि टिकट के पैसे भी नहीं थे। अमिताभ बच्चन जी के लोगों ने संपर्क किया और मुझे यहां तक फ्री में पहुंचाया। पैसे होने के बावजूद हजारों लोग वापस घर नहीं आ पा रहे हैं। मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं। अगर रोजगार यहीं मिल जाए तो वहां मैं कभी नहीं जाऊंगी।

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