कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉकडाउन के बीच देश आज ईद का त्योहार मना रहा है. वायरस के बढ़ते संक्रमण के खौफ ने मुस्लिम भाइयों की मीठी ईद को भी फीका कर दिया है। लोग घर पर, घर की छतों पर नमाज पढ़कर ईद मना रहे हैं। इस दौरान न तो कोई गले मिल रहा है और न ही उस जिंदादिली से बधाई दे रहा है, जैसे पहले होता था।
लॉकडाउन की वजह से इस साल ईद के मौके पर बाजार सूने नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही लोगों को अपने घरों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए ही इस साल ईद का जश्न मनाना होगा.
मुस्लिम परिवारों की माने तो यह ईद देश की पहली ऐसी ईद होगी, जिस पर लोग मस्जिदों में नमाज नहीं पढ़ेंगे, ना किसी के घर जाएंगे, ना गले मिलेंगे और ना ही किसी से हाथ मिलाएंगे।
वहीं, आजाद भारत के इतिहास में यह पहला मौका है जब ईद के रोज दिल्ली की जामा मस्जिद समेत सभी मस्जिदें बंद हैं।
वही जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा था कि ईद सोमवार को मनाई जाएगी. शनिवार को चांद नहीं दिखा था. कोरोना संकट के दौरान बाजारों में खरीदारी की रौनक नहीं दिखी.
दिल्ली के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लोगों से अपील की, कि वे ईद मनाते समय सामाजिक मेलजोल से दूरी के नियम पर अमल के साथ-साथ लॉकडाउन नियमों का पालन करें. फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि चांद दिख गया है और सोमवार को ईद मनायी जाएगी. उन्होंने कहा, ”हमने लोगों से एक-दूसरे को गले लगाने और हाथ मिलाने से बचने के लिए कहा है.”
जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने लोगों से सादगी से ईद मनाने और गरीब लोगों व अपने पड़ोसियों की मदद करने की अपील की. उन्होंने कहा, ”कोरोना वायरस के कारण ईद की नमाज पारंपरिक तौर पर अदा नहीं की जा सकेगी, लेकिन लोगों समझना चाहिये कि केवल सावधानी बरतने से ही वायरस को हराया जा सकता है.”
दरअसल कोरोना वायरस के प्रसार पर नियंत्रण के लिए देश में लॉकडाउन लागू हैं और मस्जिदों समेत तमाम धार्मिक स्थल बंद हैं. मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लोगों से घर पर ही ईद की नमाज अदा करने का आग्रह किया है.
बता दें कि रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने पर इस त्योहार को मनाया जाता है।