पिछले 40 दिन से लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए ट्रेनें चलीं तो उसके किराये को लेकर सियासी घमासान भी शुरू हो गया है. कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं कि जब मोदी सरकार विदेश में फंसे भारतीयों को सरकारी खर्चे पर वतन वापस ला सकती है तो गरीब मजदूरों से ट्रेन के टिकट के पैसे क्यों लिए जा रहे हैं?
केंद्र सरकार विपक्ष के इस सवाल पर चुप है लेकिन उससे जुड़े सूत्र दावा कर रहे हैं कि इस यात्रा का 85 फीसदी खर्च रेलवे उठा रहा है और बाकी खर्च के लिए संबंधित राज्य सरकारों से कहा गया है. इस बीच रेलवे का वो लेटर भी सामने आया है जिसमें राज्य सरकारों से कहा गया है कि वो श्रमिक ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को टिकट देकर उनसे पैसा लें और ये पैसा रेलवे को दें.