ब्राह्मणों के कुल गुरू के तौर पर पूजे जाने वाले भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाने वाले परशुराम जी को साहस का देवता माना जाता है। इनका वास्तविक नाम राम था लेकिन हाथ में परशु धारण करने के बजह से इन्हें परशुराम कहा जाता है । तप और त्याग के ऐसे पर्याय कल, आज और कल हमेशा प्रासंगिक हैं। परशुराम के जन्म दिवस दिवस पर उनकी प्रमुख तपस्थलियों के बारे में आइये जानते है
जबलपुर में भगवान परशुराम की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह दी गई है। 31 फीट की प्रतिमा और 15 फीट का फरसा है। मुख्य रेलवे स्टेशन से 15 किमी दूर आयुध निर्माण खमरिया के पास स्थित मटामर धाम प्राकृतिक वातावरण से भरपूर है। यहां परशुराम पर्वत के साथ ही कुंड है। हालांकि इस स्थल का कोई शास्त्रोक्त प्रमाण नहीं है यह ज्ञात भी नहीं हुआ है । मां की हत्या के बाद भगवान परशुराम ने नर्मदा तट होने के कारण यहां तप और पश्चाताप किया, ऐसी मान्यता है। लोगों के मुताबिक गुफा के अंदर अंकित चरणचिन्ह प्रमाणित करते हैं कि भगवान परशुराम लंबे समय तक इस स्थल पर तपस्यारत थे। टीम द वन्दे भारत