India New Delhi : कोरोना महामारी और इसकी भूमिका में चीन की बदनामी ने उसकी अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी तोड़ दी है। और इसका सीधा फायदा भारत को मिलता दिख रहा है। एक बहुत ही खुशी की बात है अब स्थिति ऐसी बन गई है कि 900 से भी अधिक विदेशी कंपनियां चीन छोड़कर भारत आने को तैयार है। अगर हम Business Today की एक रिपोर्ट पर नजर डालें और उनकी मानें तो करीब 1000 विदेशी कंपनियां ऐसी हैं जिनकी नजरें भारत में उत्पादन शुरू करने पर टिकी हैं। इन कंपनियों के बीच ‘एग्जिट चाइना’ मंत्र यानी चीन से निकलने की सोच मजबूत होती जा रही है। निश्चित तौर पर यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए यह अच्छी खबर है।
विदेशी कंपनियां जहां भारत में उत्पादन शुरू करने पर विचार कर रही हैं तो कुछ कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने सक्रियता से चीन से निकलने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। ये कंपनियां भारत को एक वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर देखने लगी हैं। कंपनियों ने सरकार के अलग-अलग स्तर पर अपनी तरफ से प्रस्ताव भेजने शुरू भी कर दिए हैं। कंपनियों की तरफ से केंद्र सरकार के विभागों के अलावा विदेशों में भारतीय उच्चायोगों और राज्य के औद्योगिक विभागों के पास प्रपोजल भेजे गए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार को भी इस तरह के प्रस्ताव मिले हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने चीन से पलायन करने वाली कंपनियों को गौतमबुद्ध नगर जनपद में जगह देने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने इस बाबत पिछले हफ्ते 15 अप्रैल को एक संयुक्त बैठक की है। जिसमें इन कंपनियों को जमीन देने पर विस्तार से विचार किया गया। उत्तर प्रदेश में आने वाली कंपनियों को सरकार द्वारा इंसेंटिव और कैपिटल सब्सिडी देने पर भी विचार किया जा रहा है। औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने गौतमबुद्ध नगर नोएडा की तीनों विकास प्राधिकरणों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों और चेयरमैन आलोक टंडन को इस बाबत तैयारियां करने का भी निर्देश दिया है।
कोरोना आपदा की वजह से चीन पसंदीदा मैन्युफैक्चरिंग हब होने का अपना तमगा खोने की तरफ बढ़ रहा है। हजारों विदेशी कंपनियों की तरफ से भारत में अथॉरिटीज के साथ अलग-अलग स्तर पर वार्ता जारी है। जो कंपनियां भारत आने को उत्सुक हैं उनमें मोबाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइसेज, टेक्सटाइल्स और सिंथेटिक फैब्रिक से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं। कंपनियां अब भारत को अगली मैन्यूफक्चरिंग हब के तौर पर देख रही हैं। एक अधिकारी की मानें तो सरकार वर्तमान समय में कुछ कंपनियों के साथ वार्ता में व्यस्त है। इन कंपनियों के साथ इनवेस्टमेंट प्रमोशन इकाई, केंद्र सरकार के विभागों के अलावा राज्य सरकारें बातचीत कर रही हैं।